चंदौली, जेएनएन। मुख्तार से लोहा लेने वाले पूर्व डिप्टी एसपी सैयदराजा क्षेत्र के फेसुड़ा गांव निवासी शैलेंद्र सिंह वर्तमान में जैविक खेती कर रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे दादा रामरूप सिंह और पुलिस अफसर पिता स्वर्गीय जगदीश सिंह से बहादुरी विरासत में मिली थी। इसलिए माफिया से मोर्चा लेने में तनिक भी नहीं हिचकिचाए। इसके चलते नौकरी छोडऩी पड़ी, फिर भी जीवन में निराशा को हावी नहीं होने दिया।
राजनीति में आजमाया दांव
1991 बैच के पीपीएस रहे शैलेंद्र सिंह को मुख्तार प्रकरण के बाद 2004 में नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद राजनीति में दाव आजमाया। 2004 में वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़े। इसके बाद 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए। इसके बाद उन्हें यूपी आरटीआई का प्रभारी बनाया गया। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चंदौली से लोकसभा का चुनाव लड़े। हालांकि चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे। 2012 में सैयदराजा विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े। इस बार भी पराजय हाथ लगी। 2014 में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य बने। उन्हें लोकसभा चुनाव में वार रूम की जिम्मेदारी मिली।
भविष्य में नहीं लड़ेंगे चुनाव
शैलेंद्र सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा कि भविष्य में चुनाव लडऩे की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कई बार राजनीति में दाव लगाया लेकिन उनको राजनीति रास नहीं आई। इसलिए अब चुनाव नहीं लडऩे का फैसला लिया है।
किसानों की आय बढ़ाने की सोच
नौकरी छोडऩे के बाद शैलेंद्र सिंह ने बेसहारा पशुओं को सहारा देने का काम किया। वे सड़कों पर और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले बेजुबानों को अपने गोशाला में आश्रय देते हैं। कृषि का आधार रहे बैलों के जरिए बिजली भी पैदा कर रहे हैं। अभी छोटे स्तर पर यह काम चल रहा है लेकिन भविष्य में एक मेगावाट बिजली तैयार करने की उनकी योजना है। बैलों को निर्धारित गोला में घुमाकर अल्टीनेटर के जरिए बिजली बनाई जा रही है। वे लखनऊ स्थित अपने आवास पर रहकर धान, गेहूं व सब्जी की जैविक विधि से खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि जैविक उत्पाद से उनको बेहतर कीमत मिल रही है। भविष्य में किसानों की कृषि लागत कम करने व आमदनी दोगुनी करने के लिए जैविक विधि को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।