प्रदेश में लगातार बढ़ते बिजली के दामों से आम उपभोक्ताओं की जेबो में करंट लग रहा है , बिजली की कीमतें आसमान छूती दिखाई दे रही हैं. उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड बिजली की कीमतों को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ समय से आतुर दिखाई दिया है. इसके पीछे यूपीसीएल का तर्क बिजली के खुले बाजार में दाम बढ़ना बताया जा रहा है.
फिलहाल, यूपीसीएल की सिफारिश पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की तरफ से 6.5% सरचार्ज बढ़ाने का फैसला ले लिया गया है. बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी से हालांकि बीपीएल परिवारों को छूट दी गई है लेकिन बाकी उपभोक्ताओं पर 7 महीने तक भारी सरचार्ज वसूलने के आदेश कर दिए गए हैं.
इसके बाद अब 100 यूनिट तक पर रूपए5 का भार वहन करना होगा, 100 यूनिट से 200 यूनिट तक रूपए 25 तक अतिरिक्त जमा करने होंगे. 200 से 400 यूनिट तक वाले उपभोक्ताओं को करीब रूपए55 अतिरिक्त देने होंगे. उधर, इससे ऊपर वाले उपभोक्ताओं को रूपए90 तक देने पड़ सकते हैं.
खास बात यह है कि इसी वित्त वर्ष की शुरुआत में बिजली के दाम बढ़ाए जा चुके हैं. ऐसे में अब सरचार्ज के नाम पर लोगों की जेब ढीली करने का यह फैसला किसी को भी रास नहीं आ रहा है.
यूपीसीएल ने पहले करीब 1355 करोड़ सरचार्ज के रूप में वसूलने तक का मन बनाया था. लेकिन आयोग ने इसमें कुछ कमी करते हुए सरचार्ज को लेकर रेट निश्चित किए.
वही दूसरी ओर बिजली के दाम लगातार बढ़ने के कारण उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंधन पर बिजली को लेकर कार्य योजना न तय कर पाने का आरोप लग रहा है.विपक्षी दल बिजली की कीमतों में बढ़ोत्तरी के ऐसे फैसलों को प्रबंधन की रणनीतिक कमी से जोड़ रहे हैं. बढ़ती कीमतों का भार सीधे तौर पर जनता पर पड़ने की बात कही जा रही है. विपक्षी दलों ने इसे कमजोर प्रबंधन की रणनीति के चलते लिया गया फैसला बताया है.