प्रदेश की 10 हजार से अधिक ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में इसी महीने प्रशासक बैठेंगे। जिला पंचायतों में भी दो दिसंबर तक प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे। प्रशासक कौन होंगे, यह राज्य सरकार को तय करना है।
पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता। सात हजार से अधिक ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। जबकि क्षेत्र पंचायत प्रमुखों का कार्यकाल 29 नवंबर एवं जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल एक दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन हरिद्वार को छोड़कर अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलनरत है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि कोविड के दौरान पंचायतों की बैठकें नहीं हो सकीं। इसलिए पंचायतों का कार्यकाल दो साल बढ़ाया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सचिव पंचायतीराज से रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता। सात हजार से अधिक ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। जबकि क्षेत्र पंचायत प्रमुखों का कार्यकाल 29 नवंबर एवं जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल एक दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
राज्य में तीन हजार से अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं। जिनके कार्यकाल समाप्त होते ही प्रशासकों का बैठना तय है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक प्रशासक कौन होंगे संविधान में यह अधिकार राज्य सरकार के पास है।
प्रदेश में हैं इतनी ग्राम और क्षेत्र पंचायतें
प्रदेश में हरिद्वार समेत 7823 ग्राम पंचायतें, 3157 क्षेत्र पंचायतें और 387 जिला पंचायतें हैं।
सरकार को प्रशासक समिति के माध्यम से पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने का फैसला लेना चाहिए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंचायत प्रतिनिधियों को इसका आश्वासन दिया है। -जगत सिंह मार्तोलिया, संयोजक उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन
पंचायतों का अभी कार्यकाल चल रहा है, इनमें प्रशासक नियुक्त होंगे या नहीं इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। चंद्रेश कुमार यादव, सचिव पंचायतीराज