राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने उठाई वेतन भुगतान की मांग, मुख्य सचिव से की भत्तों में सुधार और लंबित प्रकरणों पर बैठक की अपील
देहरादून। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे और महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने शुक्रवार को सचिवालय में मुख्य सचिव उत्तराखंड से मुलाकात की और राज्य कर्मचारियों की विभिन्न लंबित मांगों को लेकर एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इस दौरान परिषद के प्रतिनिधियों ने विशेष रूप से मार्च माह के वेतन के शीघ्र आहरण की मांग की, जिससे कर्मचारियों को अप्रैल माह में आने वाली विभिन्न आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
वेतन भुगतान में देरी से कर्मचारी परेशान
प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा कि अप्रैल का महीना कर्मचारियों के लिए वित्तीय दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान कई आवश्यक खर्चे सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को अपने पाल्यों की स्कूल फीस, नए सत्र के लिए यूनिफॉर्म और किताबें खरीदने के अलावा गृह ऋण की किश्तें भरनी होती हैं। ऐसे में यदि मार्च महीने का वेतन समय पर नहीं मिलता है, तो हजारों कर्मचारियों को गंभीर आर्थिक संकट से जूझना पड़ सकता है। उन्होंने इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पहले ही मार्च वेतन भुगतान के आदेश जारी किए जा चुके हैं, इसलिए उत्तराखंड सरकार को भी इसी तरह का निर्णय लेकर कर्मचारियों को राहत प्रदान करनी चाहिए।
यात्रा और वाहन भत्ते में वृद्धि की मांग
महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने कहा कि परिषद ने वेतन भुगतान के अलावा यात्रा भत्ता (टीए) और वाहन भत्ता (सीसीए) की दरों में आवश्यक सुधार की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन यात्रा भत्ते और वाहन भत्ते की दरें लंबे समय से अपरिवर्तित बनी हुई हैं। इससे कर्मचारियों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य राज्यों में इन भत्तों की दरों में समय-समय पर संशोधन किया जाता है, लेकिन उत्तराखंड में अभी तक इस दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
वर्कचार्ज कर्मचारियों की पेंशन का मुद्दा
परिषद ने वर्कचार्ज कर्मचारियों की पेंशन के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया। परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि इस संबंध में मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे, लेकिन अभी तक इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है। परिषद ने मांग की कि सरकार जल्द से जल्द इन निर्णयों को सार्वजनिक करे और वर्कचार्ज कर्मचारियों को उनकी पेंशन संबंधी सुविधाओं का लाभ प्रदान करे।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक बुलाने की मांग
परिषद ने यह भी आग्रह किया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य कर्मचारियों से जुड़े लंबित प्रकरणों पर शीघ्र बैठक बुलाई जाए। उन्होंने कहा कि कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनका समाधान निकालना बेहद जरूरी है। कर्मचारियों से जुड़े लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाना चाहिए, ताकि उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक प्रशासनिक सेवाओं की कार्यक्षमता में भी अपेक्षित सुधार नहीं हो पाएगा।
सरकार से शीघ्र निर्णय की उम्मीद
परिषद ने आशा जताई कि राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी और इन मुद्दों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेगी। परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि वेतन भुगतान, भत्तों में संशोधन, पेंशन संबंधी निर्णयों को लागू करने और लंबित मामलों के निस्तारण के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।
परिषद के अनुसार, यदि सरकार समय रहते कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं करती है, तो आने वाले समय में कर्मचारियों को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे कर्मचारियों की जरूरतों को समझें और उन्हें राहत देने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
कर्मचारियों की उम्मीदें सरकार से जुड़ीं
परिषद के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य के हजारों कर्मचारी सरकार से इस बात की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें जल्द ही उनके लंबित वेतन का भुगतान किया जाएगा। साथ ही, अन्य वित्तीय और प्रशासनिक मांगों को लेकर भी सरकार से ठोस कदम उठाने की अपेक्षा की जा रही है। परिषद ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही इस दिशा में कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो राज्य कर्मचारी परिषद आगे की रणनीति पर विचार करने को बाध्य होगी।
सरकार के निर्णय का कर्मचारी समुदाय बेसब्री से इंतजार कर रहा है, और उम्मीद कर रहा है कि उनके हितों की रक्षा के लिए शीघ्र आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।