डॉ. के. एस. नपलच्याल ने कार्यवाहक रजिस्ट्रार का पद संभाला

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डॉ. के. एस. नपलच्याल ने कार्यवाहक रजिस्ट्रार का संभाला पद

देहरादून उत्तराखंड आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. के. एस. नपलच्याल ने भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड के कार्यवाहक रजिस्ट्रार का कार्यभार औपचारिक रूप से ग्रहण कर लिया है। डॉ. नपलच्याल लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनका कार्य अनुभव तथा प्रशासनिक कुशलता इस नई जिम्मेदारी को निभाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उनके कार्यभार ग्रहण करने से न केवल परिषद के कामकाज में नई ऊर्जा का संचार होगा, बल्कि इससे आयुर्वेदिक चिकित्सा क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी।

इस अवसर पर राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ, उत्तराखंड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डी. सी. पसबोला ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. नपलच्याल की नियुक्ति से पूरे आयुर्वेदिक चिकित्सक समुदाय में हर्ष का वातावरण है। उन्होंने बताया कि वर्षों बाद किसी वरिष्ठ और अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक को भारतीय चिकित्सा परिषद जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में रजिस्ट्रार जैसे महत्वपूर्ण और उत्तरदायित्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया है, जो न केवल चिकित्सा समुदाय के लिए गौरव की बात है, बल्कि इससे आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को भी और अधिक मान्यता व सम्मान प्राप्त होगा।

डॉ. पसबोला ने यह भी कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों की लंबे समय से यह मांग रही थी कि परिषद के शीर्ष पदों पर उन्हीं विशेषज्ञों की नियुक्ति हो जो इस परंपरागत चिकित्सा पद्धति की गहराई से जानकारी रखते हों और उसकी मूल भावना को समझते हों। डॉ. नपलच्याल की नियुक्ति इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

गौरतलब है कि परिषद के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जे. एन. नौटियाल भी एक पंजीकृत आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं, जिन्होंने वर्षों से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। अब परिषद के दोनों शीर्ष पदों अध्यक्ष और रजिस्ट्रार – पर आयुर्वेदिक पृष्ठभूमि के चिकित्सकों की तैनाती से न केवल इस चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे आयुर्वेदिक शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सकीय सेवाओं के क्षेत्र में व्यापक विकास की संभावनाएं भी और अधिक मजबूत होंगी।

इस नई संरचना से उम्मीद की जा रही है कि परिषद अधिक प्रभावी, पारदर्शी और चिकित्सकों के अनुकूल कार्यशैली अपनाएगी, जिससे न केवल वर्तमान प्रणाली को सुधारने में मदद मिलेगी बल्कि आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई दिशा मिलेगी। आयुर्वेदिक चिकित्सकों और इससे जुड़े संगठनों ने इस कदम की सराहना करते हुए भविष्य में और अधिक सकारात्मक परिवर्तनों की आशा जताई है।

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