बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन का कहर
भनेरपाणी और पागलनाला में घंटों फंसे 5000 तीर्थयात्री
चमोली – उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक देते ही चारधाम यात्रा मार्गों की कठिनाइयां भी बढ़ा दी हैं। रविवार देर रात हुई भारी बारिश के चलते बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर चमोली जिले के भनेरपाणी और पागलनाला क्षेत्र में भूस्खलन और भारी मलबा आने से राजमार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया। इसके चलते बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जा रहे तथा लौट रहे करीब 5000 तीर्थयात्री रास्ते में फंसे रहे और उन्हें घंटों तक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
भारी बारिश के कारण सोमवार सुबह करीब पांच बजे से बदरीनाथ हाईवे बंद हो गया। हालांकि, सुबह सात बजे से एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास निगम लिमिटेड) की ओर से मलबा हटाने का कार्य शुरू किया गया। करीब 10 बजे हाईवे को अस्थायी रूप से खोल दिया गया, लेकिन आधे घंटे बाद ही फिर से ऊपर से भारी मलबा आने से वाहनों की आवाजाही रोकनी पड़ी।
काफी मशक्कत के बाद दोपहर एक बजे के करीब हाईवे को दोबारा खोलकर यातायात सुचारु किया गया। जिलाधिकारी संदीप तिवारी के अनुसार, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
भनेरपाणी क्षेत्र पिछले दो वर्षों से भूस्खलन और भू-धंसाव की चपेट में है। इस समय यहां एनएचआईडीसीएल द्वारा सड़क सुधारीकरण कार्य चल रहा था, जो रविवार की रात हुई बारिश के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर हाईवे पर आ गए, जिससे मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया।
पागलनाला भी बना बाधा का कारण
रविवार रात को पागलनाला भी उफान पर आ गया था, जिसके कारण वहां से भी मलबा और पत्थर हाईवे पर आ गिरे। सुबह करीब 10 बजे तक मार्ग बंद रहा, जिससे कई तीर्थयात्रियों को यात्रा रोकनी पड़ी।
अलकनंदा का जलस्तर खतरे के करीब
चमोली जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है।
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अलकनंदा नदी का जलस्तर 952.80 मीटर तक पहुंच गया है, जबकि इसका खतरे का निशान 957.42 मीटर है।
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नंदाकिनी नदी 867.70 मीटर पर बह रही है, जबकि खतरे की सीमा 871.50 मीटर है।
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पिंडर नदी भी 768.75 मीटर तक पहुंच चुकी है, जबकि इसका खतरे का स्तर 773 मीटर निर्धारित है।
बीते 24 घंटों में सबसे अधिक वर्षा चमोली तहसील में 93.6 मिमी दर्ज की गई। अन्य क्षेत्रों में भी हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की गई – गैरसैंण (20 मिमी), पोखरी (5 मिमी), ज्योतिर्मठ (10.40 मिमी), थराली (2.5 मिमी), नारायणबगड़ (22 मिमी)। कर्णप्रयाग क्षेत्र में वर्षा दर्ज नहीं की गई।
घिंघराण मार्ग पर गिरी चट्टान, ग्रामीणों ने किया स्वयं राहत कार्य
गोपेश्वर-घिंघराण मार्ग पर सोमवार सुबह करीब 9:30 बजे नए बस अड्डे के पास एक बड़ी चट्टान टूटकर सड़क पर गिर गई। सौभाग्यवश उस समय कोई वाहन वहां से नहीं गुजर रहा था, जिससे जान-माल की क्षति नहीं हुई। लोनिवि को सूचना देने के बावजूद मौके पर जेसीबी नहीं पहुंची, जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने खुद ही सड़क से मलबा हटाकर आवाजाही बहाल की। करीब एक घंटे की मेहनत के बाद मार्ग को फिर से चालू किया जा सका।
कोंज पोथनी गांव के लिए संपर्क मार्ग बहा, 80 परिवार कटे संपर्क से
घिंघराण-कुजौं मेकोट-कौंज पोथनी मार्ग पर भी भारी बारिश के चलते सड़क का करीब 100 मीटर हिस्सा बह गया है। क्षेत्र में बड़े-बड़े बोल्डर और मलबा भर गया है। इससे कोंज पोथनी गांव के लगभग 80 परिवारों का संपर्क बाहरी दुनिया से कट गया है। महिला मंगल दल की अध्यक्ष दीपा देवी और आशा कार्यकर्ता आशा कठैत ने जिलाधिकारी से शीघ्र मार्ग खुलवाने की मांग की है।
मानसून के आरंभ के साथ ही उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, सड़कें अवरुद्ध होने और जलस्तर बढ़ने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। बदरीनाथ हाईवे जैसी महत्वपूर्ण मार्ग पर यातायात में अवरोध न केवल यात्रियों की कठिनाई को बढ़ाता है, बल्कि चारधाम यात्रा जैसे धार्मिक अभियानों पर भी प्रतिकूल असर डालता है। प्रशासन की सक्रियता और समय पर राहत कार्य की आवश्यकता अब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
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