राजधानी में 23 प्रतिबंधित नस्लों के बावजूद 300 से ज्यादा खतरनाक कुत्ते पाले जा रहे

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राजधानी में खतरनाक नस्लों के 300 से अधिक कुत्ते पाले जा रहे

23 प्रजातियों पर केंद्र का प्रतिबंध; पंजीकरण के बावजूद बढ़ रही घटनाएं

देहरादून। राजधानी देहरादून में खतरनाक प्रजातियों के कुत्तों को पालने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार शहर में फिलहाल रॉटविलर, पिटबुल, डाबरमैन और बुलडॉग समेत विभिन्न खतरनाक नस्लों के 300 से अधिक कुत्ते पंजीकृत हैं। यह संख्या केवल उन पालतू कुत्तों की है, जिनका विधिवत पंजीकरण नगर निगम में हुआ है। हकीकत में बिना पंजीकरण के भी दर्जनों लोग ऐसे कुत्ते पाल रहे हैं, जिनकी जानकारी निगम के पास नहीं है।

इस बीच रविवार तड़के राजपुर क्षेत्र के किशननगर में एक बड़ी घटना सामने आई। स्थानीय निवासी कौशल्या देवी (55) को सुबह मंदिर जाते वक्त पड़ोसी के रॉटविलर नस्ल के दो कुत्तों ने काट लिया। घायल अवस्था में उन्हें दून अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। हालांकि, घटना से मोहल्ले में दहशत का माहौल है। पुलिस और नगर निगम ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

केंद्र सरकार ने लगाई थी 23 नस्लों पर रोक

गौरतलब है कि 12 मार्च 2024 को भारत सरकार ने 23 खतरनाक मानी जाने वाली नस्लों के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के तहत इन नस्लों के कुत्तों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। प्रतिबंधित नस्लों में पिटबुल, रॉटविलर, डाबरमैन, अमेरिकन बुली, बुल टेरियर, मास्टिफ और फ्रेंच मास्टी जैसे नाम शामिल हैं।

सरकार का तर्क है कि ये नस्लें स्वभाव से आक्रामक होती हैं और इनके हमलों में गंभीर चोटें या जान जाने तक की घटनाएं हो चुकी हैं। आदेश के बावजूद इन नस्लों को पालने की प्रवृत्ति राजधानी समेत कई शहरी इलाकों में लगातार बढ़ रही है।

सशर्त पंजीकरण की व्यवस्था

नगर निगम देहरादून ने हालांकि खतरनाक नस्लों के पालतू कुत्तों के लिए सख्त शर्तों के साथ पंजीकरण की व्यवस्था कर रखी है। निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. (नाम कल्पित) के मुताबिक, “यदि कोई व्यक्ति ऐसी नस्ल के कुत्ते को पालना चाहता है, तो उसे पहले निगम में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके लिए कुत्ते की नसबंदी, नियमित एंटी-रेबीज टीकाकरण और लाइसेंस शुल्क का प्रमाण देना जरूरी होता है।”

नगर निगम के दस्तावेजों के मुताबिक इस साल अब तक खूंखार नस्ल के करीब 14 कुत्तों का पंजीकरण हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि असली आंकड़ा इससे कई गुना अधिक हो सकता है क्योंकि कई लोग बिना पंजीकरण के ही इन नस्लों के कुत्ते पाल रहे हैं।

विशेषज्ञों की चेतावनी

पशु चिकित्सकों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि खतरनाक नस्लों के कुत्ते केवल जिम्मेदार और प्रशिक्षित हाथों में ही सुरक्षित होते हैं। “पिटबुल या रॉटविलर जैसे कुत्ते ताकतवर होते हैं। उन्हें आक्रामक व्यवहार पर नियंत्रण के लिए प्रशिक्षित करना बेहद जरूरी है। इनके हमले बहुत गंभीर परिणाम दे सकते हैं,” डॉ. आर.के. शर्मा, वरिष्ठ पशु चिकित्सक, कहते हैं।

निगम कर सकता है सख्ती

नगर निगम अब बिना पंजीकरण के खतरनाक नस्ल के कुत्ते पालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। निगम अधिकारियों के मुताबिक ऐसे मामलों में जुर्माने से लेकर कुत्ते को जब्त करने तक की कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा नागरिकों से अपील की गई है कि वे ऐसे कुत्तों को पालने से पहले पूरी जानकारी लें और कानूनी शर्तों का पालन करें

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