16 साल तक फर्जी कागज़ों पर बनी अफसर, खुलासे के बाद केस दर्ज

16 साल तक फर्जी कागज़ों पर बनी अफसर, खुलासे के बाद केस दर्ज

16 साल से फर्जी दस्तावेजों पर अफसर, अब हुआ भंडाफोड़

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। सिंचाई विभाग में करीब 16 वर्षों से प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत महिला के शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। लंबे समय तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के बाद अब यह भंडाफोड़ होने से विभाग और पुलिस दोनों सकते में हैं। मामले का खुलासा होने के बाद विभाग ने कैंट कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है, जिसके बाद पुलिस ने पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी है।

कौन है महिला और कैसे मिली नियुक्ति

मिली जानकारी के अनुसार, संबंधित महिला का नाम अंशुल गोयल है। वह मूल रूप से नींबूवाला, गढ़ी कैंट, देहरादून की रहने वाली हैं। फिलहाल वह उत्तराखंड जल संसाधन प्रबंधन एवं नियामक आयोग, यमुना कॉलोनी देहरादून में कार्यरत थीं। उनकी नियुक्ति वर्ष 2009 में मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत कनिष्ठ सहायक (जूनियर असिस्टेंट) के पद पर हुई थी। इसके बाद उन्हें विभागीय पदोन्नति और तैनाती के आधार पर प्रशासनिक अधिकारी का जिम्मा मिल गया। पिछले लगभग 16 वर्षों से वह इसी पद पर सेवाएं दे रही थीं।

शिकायत के बाद शुरू हुई जांच


इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब देहरादून निवासी विनीत अग्रवाल नामक व्यक्ति ने अंशुल गोयल के दस्तावेजों पर संदेह जताते हुए शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि नियुक्ति के समय प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक प्रमाणपत्र असली नहीं हैं। इस शिकायत के बाद विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एक जांच समिति गठित की और सभी दस्तावेजों की सत्यता की पड़ताल शुरू कर दी।

फर्जी साबित हुए शैक्षणिक प्रमाणपत्र


जांच समिति ने अंशुल गोयल द्वारा प्रस्तुत प्रमाणपत्रों की पुष्टि के लिए संबंधित संस्थानों से संपर्क किया। इसमें राजकीय इंटर कॉलेज पटेलनगर और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद, रामनगर से प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच कराई गई। रिपोर्ट आने के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2001 में जिस नाम से अंशुल गोयल ने अध्ययन और परीक्षा उत्तीर्ण करने का दावा किया था, उस वर्ष विद्यालय में उनके नाम से कोई भी छात्रा पंजीकृत ही नहीं थी। यानी उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्र पूरी तरह से फर्जी पाए गए।

16 साल तक चलती रही नौकरी


यह तथ्य सामने आते ही विभाग और जांच टीम दोनों हैरान रह गए। तकरीबन 16 सालों तक अंशुल गोयल ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर न केवल सरकारी नौकरी हासिल की, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी जैसी जिम्मेदारी वाले पद पर भी कार्य करती रहीं। इतने लंबे समय तक किसी को भनक तक नहीं लगी और विभागीय प्रणाली की कमजोरियों के कारण यह मामला दबा रह गया।

अब आगे क्या होगा?


फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सिंचाई विभाग ने इस संबंध में कैंट कोतवाली, देहरादून में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जांच में और भी कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं।

यह घटना न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस तरह से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल कर सालों तक नियमों और व्यवस्था को ठगा जा सकता है। अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच में अंशुल गोयल के खिलाफ क्या-क्या तथ्य सामने आते हैं और उनके खिलाफ आगे कौन-कौन सी कार्रवाई होती है

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