हिंदी दिवस पर साहित्यकारों का सम्मान, मिला ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’

साहित्यकारों

साहित्यकारों को ₹5 लाख का सम्मान, उत्तराखंड में स्थापित होंगे दो ‘साहित्य ग्राम’, बनेगा साहित्यिक पर्यटन केंद्र

देहरादून। हिंदी दिवस के अवसर पर रविवार को राजधानी देहरादून स्थित आईआरडीटी सभागार, सर्वे चौक में आयोजित ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान समारोह’ साहित्यिक जगत के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर राज्य और देश की साहित्यिक धरोहर को समृद्ध करने वाले चुनिंदा साहित्यकारों को सम्मानित किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि साहित्य केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि समाज की चेतना का दर्पण है। साहित्यकार अपनी रचनात्मकता के माध्यम से समाज को दिशा देते हैं और आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हैं।

दिवंगत साहित्यकारों को मरणोपरांत सम्मान

समारोह में उत्तराखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’, शेरदा अनपढ़ और हीरा सिंह राणा को मरणोपरांत ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’ से नवाज़ा गया। इनके अलावा वरिष्ठ साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा को भी सम्मानित किया गया।

सम्मान स्वरूप प्रत्येक चयनित साहित्यकार या उनके परिजनों को ₹5 लाख की पुरस्कार राशि और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणाएँ

मुख्यमंत्री धामी ने समारोह में कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ भी कीं—

  • राज्य में दो ‘साहित्य ग्राम’ स्थापित किए जाएंगे, जहाँ साहित्यकारों को आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

  • इन साहित्य ग्रामों को इस प्रकार विकसित किया जाएगा कि वे साहित्य प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करें और उत्तराखंड एक साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में उभरे।

  • उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।

  • स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए ठोस योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

साहित्यकारों और युवाओं के लिए पहल

मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले दो वर्षों में 62 साहित्यकारों को पुस्तक प्रकाशन के लिए अनुदान प्रदान किया गया है। इस वर्ष इसके लिए सरकार ने ₹25 लाख का विशेष बजट भी रखा है।
इसके अलावा, कक्षा 6 से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें 100 से अधिक युवा रचनाकारों को सम्मानित किया गया है।

धामी ने कहा कि हिंदी आत्मा की अभिव्यक्ति की भाषा है और साहित्य समाज की आत्मा का प्रतिबिंब। उन्होंने आह्वान किया कि साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को नई ऊर्जा प्रदान करें और युवाओं को सांस्कृतिक चेतना से जोड़े।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल, उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक जसविंदर कौर सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, छात्र, संस्कृति प्रेमी और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे

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