नैनीताल: शुक्रवार को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय नैनीताल में प्रदर्शन किया। आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्हें मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन हम से अन्य कामों में लगाया जा रहा है। अन्य काम करवाने के बाद भी वेतन-भत्तों में कोई इजाफा नहीं किया जा रहा है। बहुत कम वेतनमान देने के बाद भी आशाओं से अतिरिक्त कार्य करवाया जा रहा है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने तल्लीताल गांधी चैक पर प्रदर्शन किया। आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि मासिक वेतन मानदेय फिक्स किया जाय और रिटायर होने पर पेंशन की व्यवस्था और मुफ्त पैकेज भी दिया जाए। इसके बाद 11 सूत्रीय मांगों को लेकर डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन दिए, धरना प्रदर्शन भी किया गया है लेकिन उनकी मांगों की अनदेखी की गई।
इस दौरान उन्होंने आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम 21 हजार मानदेय, मासिक वेतन और समय से दिया, आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान दिया जाए। मुख्यमंत्री के द्वारा पूर्व में हुई घोषणाओं पर भत्ता तत्काल आशाओं के खाते में ट्रांसफर करने, कोविड के समय कार्य कर रही आशाओं वर्करों की 50 लाख का जीवन बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा, सेवा के समय दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी होने की स्थिति में आशाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियम बनाने की मांग की। साथ ही आशाओं के विविध भुगतानों में व्याप्त भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी पर लगाम लगाने, सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति तत्काल, करने कोरोना ड्यूटी के लिए अलग से मासिक भत्ते का प्रावधान करने को मांग की। इस दौरान कुसुमलता, हेमा आर्य, तुलसी, सुधा आर्य, भगवती शर्मा, गीता नैनवाल अनीता, दुर्गा टम्टा, प्रेम बिस्ट, यशोदा देवी, दीपा कंडवाल, अनीता आर्य, सुनीता आर्य, हेमा आर्य गंगा आर्य आदि आशा कार्यकर्ता मौजूद थीं।