संगीत जगत के सितारे शास्त्रीय नर्तक बिरजू महाराज का निधन हो गया है। वे 83 वर्ष के थे। कथक सम्राट बिरजू महाराज का निधन संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है।
कथक के पर्याय रहे बिरजू महाराज देश के प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक थे। बिरजू महाराज अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़कर गये हैं। उनके 5 बच्चे हैं। इनमें तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनके तीन बच्चे ममता महाराज, दीपक महाराज और जय किशन महाराज भी कथक की दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं।
बिरजू महाराज भारतीय नृत्य की कथक शैली के आचार्य और लखनऊ के कालका-बिंदादीन घराने के प्रमुख थे। बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ के कालका-बिन्दादीन घराने में हुआ था।
बिरजू महाराज का नाम पहले दुखहरण रखा गया था। यह बाद में बदल कर बृजमोहन नाथ मिश्रा हुआ। इनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज था, जो लखनऊ घराने से थे और वे अच्छन महाराज के नाम से जाने जाते थे। बिरजू महाराज जिस अस्पताल में पैदा हुए, उस दिन वहां उनके अलावा बाकी सब लड़कियों का जन्म हुआ था, इसी वजह से उनका नाम बृजमोहन रख दिया गया।
जो आगे चलकर बिरजू और फिर बिरजू महाराज हो गया। बिरजू महाराज को कई सम्मान मिले जिसमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान प्रमुख हैं। 2016 में हिन्दी फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में मोहे रंग दो लाल गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
2002 में उन्हें लता मंगेश्कर पुरस्कार से नवाजा गया। 2012 में विश्वरूपम के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का और 2016 में बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। बिरजू महाराज के निधन पर राजनीतिक, फिल्म, उद्योग जगत से जुड़ी हर छोटी बड़ी हस्ती ने दुख प्रकट किया है।