विश्व विख्यात भगवान केदारनाथ के कपाट आम भक्तों के लिये छः मई को खोल दिये जाएंगे। ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां तेज हो चुकी हैं। पैदल मार्ग के भीमबली से केदारनाथ धाम तक तीन से पांच स्थानों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर बने हैं, जबकि पैदल मार्ग पूरी तरह बर्फ से ढका है।
ऐसे में डीडीएमए के 80 मजदूर पैदल मार्ग से बर्फ हटाने में जुटे हैं। वहीं बर्फ हटाये जाने के बाद ही पैदल मार्ग पर हुए नुकसान का सही अनुमान भी लग पायेगा।
बता दें कि शिवरात्रि के अवसर पर केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की घोषणा हो गई थी। कपाट खोलने की घोषणा होने के बाद प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा तैयारियां शुरू कर दी।
केदारनाथ धाम में पांच फीट से अधिक बर्फ है, जबकि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग के भीमबली से धाम तक मार्ग बर्फ से ढका हुआ है। इतना ही नहीं पैदल मार्ग पर ग्लेशियर भी बनकर आये हैं।
पैदल मार्ग पर तीन से पांच स्थानों पर ग्लेशियर बने हैं। जिन्हें काटकर पैदल रास्ता तैयार किया जा रहा है। पैदल मार्ग पर बड़े-बड़े ग्लेशियर बने हैं, जो यात्रा के दौरान परेशानी खड़े करते हैं।
ऐसे में मजदूरों की ओर से इन्हें हटाया जा रहा है। बर्फबारी होने से भीमबली से केदारनाथ धाम तक भारी नुकसान भी होता है, जिसका अनुमान अभी नहीं लगाया जा सका है।
बर्फबारी ज्यादा होने के कारण यह समस्या बनी है। अब बर्फ साफ करने के बाद ही नुकसान का सही अनुमान लग पायेगा। आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्दन सिंह रजवार ने बताया कि गौरीकुण्ड से भीमबली तक बर्फ हटा दी गई है, जबकि भीमबली से केदारनाथ तक कई जगहों पर आठ से नौ फीट तक बर्फ है।
इसके अलावा बड़े-बड़े ग्लेशियर भी बने हैं। पैदल मार्ग पर करीब 80 मजदूर रास्ते को साफ करने में जुटे हुए हैं। बर्फ ज्यादा होने के कारण नुकसान का अनुमान भी नहीं लग पा रहा है। ऐसे में दस से पन्द्रह दिन के भीतर बर्फ साफ करने पर नुकसान का पता चल पायेगा।