पहाड़ो क वीर CDS बिपिन रावत को जयंती पर श्रद्धाजंलि

आज देश के पहले CDS बिपिन रावत जयंती है, पिछले साल 8 दिसंबर को तमिलनाडु में हवाई दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत शहीद हो गए थे. जनरल रावत ने अपने सैन्य काल में देश की रक्षा के लिए कई बड़े निर्णय लिए थे.

साल 1978 से 8 दिसंबर 2021 तक उन्होंने लगातार देश की सेवा की थी. जनरल रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा था.

जन्म के साथ से ही बिपिन रावत का पहाड़ों से गहरा नाता रहा था. शायद यही वजह रही कि उनके इरादे चट्टानों की तरह मजबूत थे. बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे.

उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई शिमला के एडवर्ड स्कूल में हुई. वो बचपन से ही चट्टानों और वादियों के बीच घिरे रहे थे. उनके पिता एलएस रावत भी सेना में बड़े अधिकारी थे. वे भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे.

साल 1978 में बिपिन रावत को देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होने पर 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन के लिए चयनित किया गया था. बिपिन रावत भारतीय सैन्य एकेडमी के बेस्ट कैडेट थे. उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला था.

सीडीएस बिपिन रावत को उनके पूरे करियर में अनेकों सम्मान से नवाजा गया. इनमें अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल आदि जैसे कई सम्मान शामिल रहे.

सीडीएस और सेना प्रमुख की जिममेदारी संभालने से पहले बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला था. उन्हें कांगो में यूएन के पीसकिपिंग मिशन में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल और फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया गया था.

बिपिन रावत ने कई लेख लिखे थे, जो दुनियाभर में काफी मशहूर हैं. जनरल बिपिन रावत के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे गये अनेकों लेख दुनियाभर के कई जर्नल्स में प्रकाशित भी किए गए.

सीडीएस बिपिन रावत के हुनर की जितनी सराहना की जाए, वो कम ही होगी. सीडीएस बिपिन रावत को मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध के लिए डॉक्टरेट की उपाधि से भी नवाजा गया था.

बिपिन रावत को उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से सबसे सही विकल्प माना जाता था.

उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने तत्कालीन जनरल बिपिन रावत के ही नेतृत्‍व में 29 सितंबर 2016 को पाकिस्‍तान में स्थित आतंकी शिविरों को ध्‍वस्‍त करने के लिए सर्जिकल स्‍ट्राइक की थी. भारत द्वारा पाकिस्‍तान की सीमा में की गई इस तरह की ये पहली स्‍ट्राइक थी.

इस सर्जिकल स्‍ट्राइक को हर तरह से ट्रेंड पैरा कमांडो ने अंजाम दिया था. इसके ऑपरेशन के लिए जहां जमीन पर कमांडोज ने अपनी सटीक भूमिका निभाई थी. वहीं अं‍तरिक्ष में मौजूद भारतीय सेटेलाइट की भी मदद ली गई थी. रातों-रात हुई इस स्‍ट्राइक के बाद पाकिस्‍तान बुरी तरह से बौखला गया था. इस स्‍ट्राइक ने पाकिस्‍तान की काली करतूतों को दुनिया के सामने लाया था.

म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ सफल सर्जिकल स्ट्राइक की थी. म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक वाली टीम को बिपिन रावत ने लीड किया था. सितंबर 2016 में PoK सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई थी. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट किया था.

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी. आतंकी बुरहान वानी समेत हिज्बुल, लश्कर, जैश के कई टॉप कमांडर ढेर किए थे. आर्टिकल 370 के बाद जम्मू कश्मीर के हालात को काबू किया था. सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगाई थी.

सीजफायर उल्लंघन पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था. पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब देने में मुखर रहे थे बिपिन रावत. जनरल बिपिन रावत को उनके जन्मदिवस पर ईटीवी भारत की ओर से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि.

सेना में उनकी सेवा को देखते हुए उन्‍हें उत्तर युद्ध सेवा मेडल, एवीएसएम, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल मिला. बता दें कि जनरल रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे और 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे. उनका नाम लक्ष्‍मण सिंह रावत था. बिपिन रावत को सेना में जाने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली थी.

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