धामी की नयी सरकार में 7 जिलों को नहीं मिल पाया प्रतिनिधित्व

धामी सरकार का गठन हो गया है, सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ 8 मंत्रियों ने भी शपथ ली. सरकार के गठन में जातीय समीकरणों पर विशेष ध्यान दिया गया है.

इसमें मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में कुल तीन ठाकुर नेताओं को जगह दी गई है. इसी तरह मंत्रिमंडल में तीन ब्राह्मण भी शामिल हैं, दो दलित समाज के नेताओं को मंत्री पद दिया गया है. तो एक वैश्य समाज के नेता को भी इस में जगह दी गई है. इसमें मुख्यमंत्री धामी, सतपाल महाराज और धन सिंह रावत 3 ठाकुर नेता हैं.

उधर, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल और सौरव बहुगुणा 3 ब्राह्मण नेता भी शामिल हैं, जबकि रेखा आर्य और चंदन राम दास दलित समाज से आते हैं. जबकि प्रेमचंद अग्रवाल वैश्य समाज से हैं.

क्षेत्रीय समीकरणों को देखें तो क्षेत्रीय समीकरणों को कुछ हद तक साधने में सरकार कामयाब नहीं हो पाई है. मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 9 लोगों ने शपथ तो ली लेकिन प्रदेश के 13 जिलों में से केवल 6 जिलों को ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है. उधमसिंह नगर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आते हैं.

साथ ही सौरभ बहुगुणा भी इसी जिले से आते हैं. इस तरह उधमसिंह नगर से मंत्रिमंडल में दो लोगों को जगह मिली है. पौड़ी जनपद से सतपाल महाराज और धन सिंह रावत दो मंत्री बनाए गए हैं.

देहरादून जिले से प्रेमचंद अग्रवाल और गणेश जोशी दो मंत्री बनाए गए हैं. बागेश्वर से चंदन राम दास को मंत्री बनाया गया है. अल्मोड़ा जिले से रेखा आर्य मंत्री बनीं है. उधर, टिहरी जनपद से सुबोध उनियाल को जिम्मेदारी दी गई है.

उत्तराखंड के 7 जिले ऐसे हैं, जहां किसी भी विधायक को मंत्री पद की जगह नहीं मिल पाई. इसमें सबसे बड़ा हरिद्वार जिला भी शामिल है.

माना जा रहा है कि चुनाव में भाजपा की हरिद्वार में जिस तरह खराब परफॉर्मेंस रही है और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर भितरघात करने के आरोप लगे हैं, उसके चलते मदन कौशिक को मंत्रिमंडल से दूर रखा गया है. इसके अलावा गढ़वाल मंडल में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले शामिल हैं. कुमाऊं मंडल में चंपावत, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिले से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया.

प्रदेश में 4 बड़े चेहरे ऐसे थे, जिन को मंत्री पद से बाहर किया गया. इसमें मदन कौशिक, बिशन सिंह चुफाल, अरविंद पांडे और बंशीधर भगत का नाम शामिल है.

हालांकि, बंशीधर भगत फिलहाल प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. बताया जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर भी किसी और को जल्द ही जिम्मेदारी दी जाएगी.

जिस तरह मौजूदा सरकार ने इन चारों नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, उससे अब उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठ रहे हैं.

बता दें, फिलहाल शपथ ग्रहण के बाद भी मंत्रिमंडल में तीन जगह और है, जिन पर सरकार जब भी चाहे मंत्री बना सकती है. लेकिन सीनियर विधायकों के शुरू में शपथ ग्रहण न कराए जाने से ऐसी कम ही उम्मीद है कि इन तीन सीटों पर इन्हें जगह मिल सके.

 

खबर यह भी है कि शपथ ग्रहण के दौरान तीन और विधायकों के भी नाम शपथ ग्रहण में शामिल थे, लेकिन आखिरी मौके पर उन्हें हटा दिया गया.

इसमें विनोद कंडारी, उमेश शर्मा काऊ और आदेश चौहान का नाम शामिल था. हालांकि, इस खबर की किसी भी स्तर पर पुष्टि नहीं हो पाई है.

इसमें विनोद कंडारी को मंत्रिमंडल में जगह दी जाती, तो टिहरी से वह दूसरे मंत्री हो जाते. उमेश शर्मा काऊ को मंत्री बनाए जाने की स्थिति में देहरादून से तीन मंत्री बन जाते, जिससे भविष्य में बाकी जिलों के प्रतिनिधित्व पर संभावनाएं खत्म हो जाती हैं. लिहाजा, जिन बाकी जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है उनको प्रतिनिधित्व मिलने की संभावनाएं बरकरार है.

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