आज गंगा विश्व धरोहर मंच की पहल पर हिमालय प्लांट बैंक श्याम स्मृति वन में वृक्षारोपण किया गया और वरूणावत पर जाकर चीड़ की पत्तियों को इकठ्ठा कर जमीन में आग नियंत्रण के लिए पानी संग्रहण हेतु छोटे छोटे गड्डे भी खोदे गए।
इस अवसर संस्कृत महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना और गंगा क्लब के स्वयंसेवियों के साथ संवाद भी किया गया। अपनी राय देते हुए वक्ताओं ने कहा कि वनों में आग लगने से वनस्पतियों के साथ-साथ वन्य जीवों को भी नुकसान होता है। कई दुर्लभ प्राणि इस आग में झुलस कर दम तोड़ देते हैं।
इनमें जमीन पर रेंगने वाले छोटे जीवों तथा पक्षियों की संख्या अधिक होती है। वनाग्नि के कारण आसपास के सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
इसलिये इसकी रोकथाम के लिये व्यापक स्तर पर सामुदायिक भागीदारी के साथ स्थानीय लोगों तथा वन विभाग के बीच सामंजस्य, प्रकृति और पर्यावरण के प्रति लोगों में व्यापक स्तर पर जागरुकता फैलाए जाने की आवश्यकता है।
वनाग्नि को तेजी से बढ़ने में चीड़ की पत्तियाँ मददगार होती हैं, ऐसे स्थानों पर चीड़ के पेड़ों के स्थान पर अन्य पेड़ों को महत्त्व देना चाहिए।
चीड़ के पेड़ से निकलने वाले लीसा के सम्पर्क में आने से आग विकराल रूप धारण कर लेती है। कई बार अधिक लीसा दोहन करने के लिये पेड़ों पर गहरा घाव कर दिया जाता है।
लीसा के अत्यधिक ज्वलनशील होने की वजह से आसपास के पेड़ों को वनाग्नि के दौरान बड़े पैमाने पर नुकसान होता है।