हिमांचल की बेटी स्नेहलता पूरे देश के लिए बनी मिशाल स्नेहालता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हैंडबाल खेलती है। जो की अब पूरे देश के लिए एक प्रेणा का स्त्रोत बन चुकी खबरो की माने तो वे वह अपने दम पर खिलाड़ियों को हैंडबाल का प्रशिक्षण देती है वे देश के उन सभी खिलाड़ियों को अपने अंदर छिपे हुनर को दिखाने का अवसर दे रही है जिसके लिए उन्होंने अपना मुफ्त प्रशिक्षण केंद्र खोला हुआ है जहा वे ट्रेनिंग के साथ साथ उन खिलाड़ियों को मुफ्त खाना भी खिलाती है खबरों की माने तो वह उन सभी लोगो की डाइट का पूरा ख्याल रखती है जिसके लिए वह खुद से अपने खेतो में दाल , चावल , व सब्जियां उगाती है। इसी के उन्होंने अपनी ही जमीन पर हैंडबाल का कोर्ट तैयार किया है जहा वे ३० लड़कियों को अपने साथ रखती है और उन्हें फ्री खाने रहने की सुविधा प्राप्त करवाती है इसी के वह अभी ३० से ज्यादा लड़कियों को अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा चुकी है
घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत मोरसिंघी के बछड़ी गांव में स्नेहलता (33) ने लग्न और मेहनत के दम पर ऐसा काम कर दिखाया है, जो कई कोच लाखों की सैलरी लेकर भी नहीं कर पाते। वर्ष 2011 में अपने खेतों में बांस के गोल पोस्ट लगाकर सात खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया। कुछ ही समय में यह संख्या 7 से बढ़कर 100 हो गई।
स्नेहलता जब मोरसिंघी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता के पद पर तैनात हुईं तो सरकार और खेल संघों की बिना किसी मदद के अपनी जमीन पर हैंडबाल का मैदान बनाया। जहां आज रोजाना 175, खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें ज्यादातर लड़कियां हैं। स्नेहलता की मोरसिंघी नर्सरी से 30 से ज्यादा खिलाड़ी इंटरनेशनल खिलाड़ी तैयार हो चुके हैं। वहीं 30 से ज्यादा खिलाड़ी सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं।
स्नेहलता खिलाड़ियों से प्रशिक्षण और हॉस्टल में रहने का एक पैसा नहीं लेती। वर्तमान में वह मोरसिंघी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में राजनीति शास्त्र की प्रवक्ता हैं। स्कूल के बाद सुबह-शाम खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देती हैं। जो समय बचता है उसमें स्नेहलता खेती करती हैं। वह अपने खेतों में दालें, सब्जियां और मसाले उगाकर हॉस्टल को देती हैं ताकि खिलाड़ियों की दो वक्त की डाइट पूरी हो सके।
2019 में मोरसिंघी नर्सरी के 12 खिलाड़ियों को बांग्ला देश हैंडबाल लीग के लिए खरीदा गया था। वहीं बांग्ला देश की टीम के लिए 2019 में मोरसिंघी नर्सरी में प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था। इस बार एशियन हैंडबाल प्रतियोगिता में पहली बार चैंपियन बनी जूनियर महिला टीम में मोरसिंघी नर्सरी की पांच महिला खिलाड़ी शामिल थी। नर्सरी की खिलाड़ी प्रियंका टीम की कप्तान थी।