उत्तराखंड की महिलाओं में मोटापा बढ़ रहा है। 5 साल पहले राज्य में 20.4 फीसदी महिलाएं ही मोटापे की शिकार थीं। अब यह संख्या बढ़कर 29.7 फीसदी तक जा पहुंची है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे(एनएफएचएस)-5 की जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से बीते दिनों नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के मुताबिक,अधिकांश राज्यों में अधिक वजन या मोटापे की व्यापकता में बढ़ोतरी हुई है। बात उत्तराखंड की करें तो यहां एक चौथाई से अधिक महिलाएं मोटापा से ग्रसित हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की शहरी क्षेत्र की 39.1% और ग्रामीण परिवेश में रहने वाली 25.4% महिलाएं मौजूदा समय में ओवरवेट हैं।
यह महिलाओं की कुल जनसंख्या का 29.7% है। इसी तरह पुरुषों में भी मोटापा की समस्या बढ़ी है। शहरी क्षेत्र में रहने वाले 31.4% और गांवों में रहने वाले 25% पुरुष मोटापाग्रस्त हैं।
बात कुल जनसंख्या की करें तो यह प्रदेश की पुरुष आबादी का 27.1% है। पांच वर्ष पहले राज्य में कुल 17.7% फीसदी पुरुष ही मोटापे से परेशान थे।
अधिक वजन या मोटापा होने से जोड़ों और कार्टिलेज पर अतिरिक्त दबाव आता है। इससे ऑस्टियो आर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ सकता है।
मोटे लोगों को मेटाबोलिक सिंड्रोम के कारण कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जो हृदय रोग, मधुमेह व हार्ट स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा सकता है। मोटापे को अल्जाइमर रोग जैसे तंत्रिका संबंधी रोगों के कारक के रूप में भी शामिल किया गया है।