सादगी से बनायेंगे रस्किन बांड अपना 88 वां जन्मदिन

बच्चों के पसंदीदा अंग्रेजी लेखक, बाल साहित्यकार एवं उपन्यासकार पद्मश्री रस्किन बांड 88 वर्ष के हो गए। मसूरी में आज परिवार के साथ वह अपना जन्मदिन सादगी से मनाएंगे। उनके जन्मदिन को लेकर परिजनों और शहरवासियों में उत्साह है।

उनके परिवार के राकेश बांड ने बताया कि जन्मदिन की सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। कार्यक्रम में परिवार के लोगों के साथ कुछ पारिवारिक मित्र भी शामिल हो सकते है। बता दें कि रस्किन बांड का जन्म 19 मई वर्ष 1934 को हिमाचल के सोलन में हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स में थे। उनकी पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में हुई।रस्किन वर्ष 1964 में पहली बार मसूरी आए थे। पहाड़ों की रानी उन्हें इतनी पसंद आई कि वह मसूरी के ही बनकर रह गए। यहां रहकर उन्होंने कई उपन्यास लिखे। इनमें द ब्लू अंब्रेला, एक था रस्टी कहानी पर टीवी शो बना था। उनकी किताब ‘सुजैन सेवेन हसबैंड’ पर फिल्म ‘सात खून माफ बनी थी’।

रस्किन बांड का पहला उपन्यास द रूम ऑन द रूफ को वर्ष 1957 में जॉन लेवलिन राइस पुरस्कार मिला था। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। रस्किन बच्चों के लिए सैकड़ों कथाएं, निबंध और उपन्यास लिख चुके हैं। वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री और 2014 में पद्मभूषण मिल चुका हैं.. आज भी उनका निरंतर लिखने का कार्य जारी है। वह इन दिनों परिजनों के साथ प्रकृति का लुत्फ उठाने के लिए यमुना ब्रिज सहित अन्य स्थानों का भ्रमण कर रहे हैं। इसकी तस्वीरें उन्होंने अपने प्रशंसकों के बीच सोशल मीडिया पर शेयर की हैं।

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