सीएम धामी ने बाइक पर सवार होकर किया डोर-टू-डोर संपर्क

चंद वंश की राजधानी रहा चंपावत एक बार फिर सत्ता की धुरी बन गया है, खटीमा में मात खाने वाले धामी को भाजापा शीर्षनेतृत्व ने सत्ता सौंपी.

लिहाज़ा उन्हें उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचा जरूरी है, चंपावत से निर्वाचित हुए कैलाश गहतोड़ी ने उनके लिए सीट छोड़ी जिसके बाद से ही भाजपा ने सीएम को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.

बीते दिनों भाजपा के फायर ब्रांड नेता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने चंपावत में उनके पक्ष में जनमत मांगा. वहीं धामी लगातार चंपावत में लगातार प्रचार कर रहे हैं.इस बीच रोड-शो, जनसभा जैसे प्रचार आयोजनों से इतर धामी ने बाइक पर सवार होकर डोर-टू-डोर संपर्क किया और जनता से आशीर्वाद मांगा.

इससे पहले उन्होंने जगन्नाथ चौराहा स्थित महादेव की दुकान में चाय की चुस्की ली,
कल यानि मंगलवार को चंपावत में उपचुनाव होना है,  सीएम धामी यहां लगातार जनसभाएं कर लोगों से समर्थन जुटा रहे हैं। आज चुनाव से एक दिन पहले वह समर्थकों के साथ प्रचार में पूरी ताकत झोंकने पहुंचे हैं.

31 मई को हो रहे उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पहली बार चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी चुनौती दे रही हैं.

डोर टू डोर प्रचार करते धामी

चुनाव की तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद उपचुनाव के नतीजे को लेकर खास संशय नहीं है लेकिन भाजपा की सारी कोशिश इससे आगे की है. उसका लक्ष्य इस चुनाव में इतिहास रचने का है, वह इसमें कामयाब होगी या नहीं? इसका जवाब तो समय ही देगा. उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए 15 फरवरी को हुए मतदान के 106 दिन बाद 31 मई को चंपावत दूसरी बार मतदान करेगा.

इसमें 46042 महिला और 50171 पुरुषों समेत कुल 96213 मतदाता वोट डालेंगे, लगातार दो बार इस सीट को जीत चुकी भाजपा उपचुनाव जीत तिकड़ी बनाने के लिए उत्सुक है.

5  बार कांग्रेस से प्रत्याशी रहे दो बार के विधायक हेमेश खर्कवाल के बजाय पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतार कांग्रेस ने महिला कार्ड खेलने का प्रयास किया है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर आखिरी वक्त पर कोई चमत्कारिक बदलाव न हुआ, तो अब तक के हालात इस प्रयोग को नाकाफी मान रहे हैं.

वहीं सीएम धामी के चंपावत से प्रत्याशी होने से तीन बदलाव साफ हुए हैं, भाजपा की धड़ेबाजी खत्म हुई, कांग्रेस के पांच दिग्गज नेताओं सहित ढेरों पदाधिकारियों की दलीय निष्ठा बदल गई और सबसे बढ़कर आम लोगों का नजरिया बदला है. लोग इस चुनाव को मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र बनने से विकास की आस संजोए हैं, राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि आम लोग इस VIP सीट के जरिये भविष्य को लेकर संजोए सपने को हाथ से नहीं जाने देना चाहते.

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