कैंची मेले के आयोजन में उमड़ी भक्तों की भीड़

दो साल बाद बुधवार को कैंची मेला आयोजित हुआ। बाबा नीम करोली महाराज के देसी-विदेशी भक्त यहां पहुंचे हैं। कोरोना के मद्देनजर दो साल बाद इस बार मेला आयोजित किया गया है। ऐसे में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। मंदिर ट्रस्ट भक्तजनों के ठहरने, प्रसाद और मार्गों की व्यवस्थाओं में जुटा हुआ है।

बाबा नीम करोली महाराज को भोग लगाने के साथ कैंची मेले में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हुआ। सुबह चार बजे से ही लोग कैंची मेले को लेकर कैंची धाम पहुंचे। सुबह 10 बजे तक 25 हजार से अधिक लोग दर्शन कर चुके हैं।अल्मोड़ा मार्ग पर भवाली से आठ किमी दूर बने कैंची धाम में हर वर्ष 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है।

इस मौके पर भक्तजनों के लिए प्रसाद के लिए मालपुए बनाए जाते हैं। भक्त सबसे पहले विंध्यवासिनी देवी के दर्शन करते हैं। देवी की स्थापना 15 जून 1973 को हुई थी। इसके बाद बजरंग बली, शिवजी और फिर वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद बाबा की प्रतिमा के आगे मत्था टेकते हैं। यहां वैष्णो देवी की स्थापना 15 जून 1974 को हुई थी।

भक्तों की आस्था है कि बाबा नीम करोली महाराज स्वयं मंदिर में किसी न किसी रूप में मौजूद हैं। मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों की ओर से इस बार भी मेले की व्यापक तैयारियां की गईं हैं। ट्रस्ट के प्रबंधक विनोद जोशी के मुताबिक मेले में भीड़ बढ़ने की संभावना को देखते हुए अतिरिक्त द्वार बनाए गए हैं। साथ ही मेले के लिए पुलिस प्रशासन भी जुट गया है। उत्तराखंड परिवहन निगम मेले के लिए नैनीताल से विशेष बसें चला रहा है। मंदिर स्थल के बाहर पुलिस की ओर विशेष काउंटर लगाया गया है। मंदिर में मालपुए बनने का क्रम 12 जून से शुरू हो चुका है।

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