मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अवैध अतिक्रमण, अवैध प्लाटिंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश पर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ‘एमडीडीए’ ने सख्त रूख अख्तियार किया है। साथ ही दोषी कार्मिकों पर भी एमडीडीए सख्त हो गया है। सीएम के निर्देशों के क्रम में एमडीडीए वीसी बीके संत ने पहाड काट कर लगभग 14175 वर्ग मीटर भूमि पर समतलीकरण एवं पुश्ता निर्माण कार्य करने वालों पर बडी कार्रवाई कर दी है। स्थल पर किये अवैध विकास कार्य को ध्वस्त कर दिया गया है। खान अधिकारी वीरेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। भू गर्भ वैज्ञानिक अनिल कुमार को भी गलत तथ्य प्रस्तुत कर हिल कटान की स्वीकृति प्रदान किये जाने पर निलंबित कर दिया गया है। प्राधिकरण के दो सुपरवाइजरों प्यारे लाल एवं महावीर सिंह को भी उक्त प्रकरण की ससमय जानकारी न देने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
एमडीडीए वीसी को सूचना मिली थी कि मंजीत जौहर, राज लूम्बा तथा अनिल कुमार गुप्ता के द्वारा कैनाल रोड पर पहाड काट कर लगभग 14175 वर्ग मीटर भूमि पर समतलीकरण एवं पुश्ता निर्माण का कार्य किया जा रहा है। प्रकरण प्राधिकरण के संज्ञान में आने पर प्राधिकरण द्वारा अवैध भूमि विकास एवं प्लौटिंग का कार्य किए जाने के दृष्टिगत सम्बन्धितों के विरूद्व उत्तराखण्ड नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की सुसंगत धाराओं धारा-27 व 28 के अर्न्तगत पूर्व में ही कारण बताओ एवं कार्य रोकने हेतु नोटिस भेजने की कार्यवाही दिनांक 19-07-2022 को कर दी गयी थी।
इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण उपाध्यक्ष बृजेश कुमार संत द्वारा जिलाधिकारी देहरादून सुश्री सोनिका, सचिव प्राधिकरण एम.एस. बर्निया, निदेशक खनन पैट्रिक, अधीक्षण अभियंता एच.सी.एस राणा एवं संबंधित अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की, जिसमें निम्नानुसार निर्णय लेते हुए कार्यवाही की गई –
1. स्थल पर किये अवैध विकास कार्य को तुरंत प्रभाव से ध्वस्त कर दिया गया।
2. खान अधिकारी वीरेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया ।
3. भू गर्भ वैज्ञानिक अनिल कुमार को भी गलत तथ्य प्रस्तुत कर हिल कटान की स्वीकृति प्रदान किये जाने पर निलंबित कर दिया गया।
4. प्राधिकरण के दो सुपरवाइजरों प्यारे लाल एवं महावीर सिंह को भी उक्त प्रकरण की ससमय जानकारी न देने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
5. भविष्य में इस तरह की प्रकृत्ति वाले स्थलों पर जहां पर पर्वतों का कटान किया जाना हो, किसी भी प्रकार के विकास कार्य की अनुमति न दिए जाने का भी निर्णय लिया गया