उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा (VPDO) का पेपर लीक करने के मामले का एसटीएफ ने रविवार को खुलासा कर दिया।
6 आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके कब्जे से 37.10 लाख रुपये कैश बरामद किया गया है। चयन आयोग तकनीकी सुविधाएं मुहैया कराने वाली फर्म के जरिए यह पेपर आउट हुआ। आरोपियों में दो युवकों खुद भी परीक्षा दी।
इनकी 42 और 53वीं रैंक आई। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 4-5 दिसंबर को स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा कराई थी। 854 पदों के लिए हुई यह आयोग की सबसे बड़ी परीक्षा थी। जिसमें 1.60 लाख परीक्षार्थी बैठे। इसमें अलग-अलग विभागों के 13 श्रेणी के पदों को भरा जाना है।
कुछ बेरोजगारों ने परीक्षा में धांधली का मामला उठाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से शिकायत की थी। इसके बाद बीते शुक्रवार को आयोग के अनुसचिव राजन नैथानी ने पेपर लीक होने की होने की आशंका जताते हुए रायपुर थाने में केस दर्ज कराया।
रविवार को DIG STF डी सेंथिल अबुदेई और SSP STF अजय सिंह ने गैंग के खुलासे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, आयोग से जुड़ी तकनीकी फर्म आरएमएस टेक्नोलॉजी साल्यूशन के कर्मचारी जयजीत दास ने यह पेपर लीक किया। गिरफ्तार लोगों में फर्म के कर्मचारी, कोचिंग सेंटर संचालक और परीक्षा देने वाले युवक शामिल हैं।
गिरफ्तार हुए आरोपी
जयजीत दास, निवासी पंडितवाड़ी (कंप्यूटर प्रोगामर, पेपर लीक करने वाला)
मनोज जोशी, निवासी मयोली, दन्यां, अल्मोड़ा (आयोग का पूर्व आउटसोर्स कर्मचारी)
मनोज जोशी, निवासी पाटी, जिला चंपावत (सितारगंज स्थित कोर्ट में लिपिक, सॉल्वर)
कुलवीर सिंह चौहान, निवासी चांदपुर, जिला बिजनौर (दून में कोचिंग संस्थान का डायरेक्टर)
शूरवीर सिंह चौहान, निवासी कालसी, देहरादून (मीडिएटर)
गौरव नेगी, निवासी नजीमाबाद किच्छा (निजी स्कूल का शिक्षक, साल्वर)
आयोग में ही निकले पेपर लीक के मास्टर माइंड
स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के मास्टर माइंड यूकेएसएससी के मुख्यालय में ही निकले। परीक्षा संबंधित गोपनीय काम करने वाली एजेंसी का डाटा एंट्री ऑपरेटर और पूर्व में हटाए गए पीआरडी कर्मचारी ने 80 प्रश्न लीक कर, चुनिंदा आवेदकों उपलब्ध कराए थे।
इसके अलावा आयोग के दो और कर्मचारियों पर संदेह जताया जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि, भर्ती परीक्षा जैसी गोपनीय प्रक्रिया के लिए आयोग ने इतने ढीले इंतजाम क्यों किए थे कि, अदने से कर्मचारियों ने पेपर लीक करा दिया।