उत्तराखंड खासकर पहाड़ी इलाकों में खस्ता स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है.
अभिनव थापर का कहना है कि उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान पिछले साल जुलाई 2021 में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
याचिका में मुख्य बिंदु में आवास विभाग की हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले संस्थान के “वन टाइम सेटलमेंट- OTS- 2021” स्कीम में कमियों व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट – CEA से संबंधित है।
इनके नियमों में शिथिलता से उत्तराखंड में हॉस्पिटल बेड की वर्तमान संख्या को घटने से रोकना व उनकी संख्या बढ़ाने का भी प्रावधान किया जा सकेगा।
याचिका में पहाड़ी क्षेत्र में लिये विशेष शिथिलीकरण की मांग की गई है जिससे प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ सुविधाओं का अवसर बढ़ सके और पूरे प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके।
बकौल थापर जुलाई 2021 पर जनहित याचिका पर कोर्ट ने 1 महीने के भीतर सरकार से जवाब माँगा था, लेकिन 1 साल गुजरने के बाद भी सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया । इस पर याचिकाकर्ता ने विषय को महत्वपूर्ण बताते हुये सुनवाई की अपील की, जिसका संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने दोबारा सरकार से जवाब मांगा है।
बता दें कि देहरादून के अभिनव थापर और उनकी टीम ने कोरोना जैसे स्वास्थ्य आपातकाल में ऑक्सिजनबेड, आई०सी०यू०, वेंटिलेटर, दवाई, प्लाज्मा का इंतजाम कर मरीजों को सहायता पहुंचाई थी.