उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्ती मामले में पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के साथ ही गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर भी सवाल उठ रहे हैं.
दोनों के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में नियुक्ति पाए लोगों की सूची पर सवाल खड़े हो गए हैं. मामले पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का बयान सामने आया है.
मीडिया के सामने आए गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि विधानसभा की सेवा नियमावली में विधानसभा अध्यक्ष को भर्ती करने का अधिकार है, इसके तहत ही सभी भर्तियां की गई हैं.
उन्होंने दो टूक शब्दों में साफ कहा कि सरकार चाहे तो देश की सबसे बड़ी एजेंसी से नियुक्तियों की जांच करा सकती है. यदि उन पर किसी भी तरह का आरोप साबित हो जाता है तो वह सजा भुगतने को तैयार हैं. सभी नेता ने अपने अपने कार्यकाल के दौरान अपने नजदीकियों को मौका दिया है.
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत से लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल तक नियुक्ति हुई है.
यही नहीं पूर्व के कई मुख्यमंत्रियों ने अपने परिवार के लोगों को भी विधानसभा में नियुक्ति देने की सिफारिश की है. क्योंकि यह परिपाटी शुरू से चली आ रही है.
गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा सरकार सभी नियुक्तियों की उच्चस्तरीय जांच करा सकती है.
संविधान के दायरे में हुई भर्तियां-कुंजवाल
गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि संविधान में अनुच्छेद-187 के तहत राज्य विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जरूरत के अनुसार विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियां कर सकता है.
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि मैंने अपने तमाम रिश्तेदारों को नौकरी पर रखा. लेकिन मेरे कार्यकाल में भाजपा, कांग्रेस के नेताओं की सिफारिश पर नियुक्तियां दी गईं.
कोर्ट ने ठहराया जायज़- कुंजवाल
कुंजवाल ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट गए थे, लेकिन हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को सही करार दिया.
इसके बाद कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए. वहां भी तमाम नियुक्तियों को सही ठहराया गया. अब जो लोग नियुक्तियों पर सवाल उठा रहे हैं, वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं.
बहू बेटे को दी नौकरीः पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि जिस तरह भाजपा मेरे ऊपर आरोप लगा रही है कि परिवार को बहू बेटों को नियुक्ति दी है.
लेकिन पूर्व में भी भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने अपने रिश्तेदारों, अपने चहेतों को नौकरियां दी हैं. ये परिपाटी पहले से चलती आ रही है.