बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना के निर्देश पर बाल की टीम ने ननूरखेड़ा स्थित नवोदय विद्यालय में औचक निरीक्षण किया.
विभाग को विद्यालय से जुड़ी कई शिकायतें मिल रही थीं, इनमें से एक शिकायत थी कि कुछ बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने से रोका गया है, आयोग की पूछताछ के दौरान स्कूल ने अपना पक्ष रखा और सम्बन्धित दस्तावेज प्रस्तुत किए जिसके बाद आयोग ने आरोपों को निराधार पाया.
वहीं दूसरी प्रिसिंपल के द्वारा मारपीट किए जाने की शिकायत पर आयोग की मनोवैज्ञानिक ने छात्रों से बात की, जिसमें उन्होंने स्कूल प्रशासन ने किसी भी प्रकार की परेशानी से इन्कार किया.
बच्चों ने कहा कि विद्यालय परिसर में कुछ अन्य लोग भी आवासीय परिसर में रह्ते हैं, जो की विद्यालय का स्टाफ नही है। इस कारण से बच्चो को परेशानी होती है।
बच्चो द्वारा उन्हे हटवाये जाने की मांग की गयी। साथ साथ विद्यालय परिसर में ही virtual lab भी बनाया गया है, जिस कारण बाहरी लोगो का आना जाना होता है।
इस कारण बच्चों की निजता प्रभावित होती है। बच्चों ने यह भी बताया की विद्यालय में कम्यूटर विषय को पढाये जाने के लिये ना तो उपयुक्त कम्यूटर उप्लब्ध हैं और ना ही कोई कम्यूटर शिक्षक, जिस कारण उक्त विषय को समझने में उन्हे परेशानी होती है।
बच्चों ने यह भी बताया की पांच वर्ष पहले भी हर एक बच्चे के लिये एक दिन का खाने का पैसा केवल 75 रु. ही दिया जता था, और अभी भी उतना ही दिया जा रहा है।
जो की बढती महंगाई में पोशन के लिहाज़ से पर्याप्त नही है। विद्यालय परिसर एवं छात्रावास का भी निरिक्षण किया गया। वहां देखा गया की जिसमे पर्दे बोहोत पुरने पाये गये। उन्हे ठीक से लगने के लिये रॉड की कमी भी देखी गयी।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने विद्यालय के जीर्णोद्वार के लिए सचिव शासन को पत्र लिखने को कहा।