हनोल: महासू के ‘जागड़ा मेला’ का शुभारंभ , महाराज ने टेका मत्था

जौनसार बावर के प्रसिद्ध जागड़ा मेला का शुभारंभ हो गया है, सिद्धपीठ महासू देवता के हनोल मंदिर में रात्रि जागरण यानि जागड़ा में हजारों की संख्या में भक्त महासू देवता के दर्शनार्थ पहुंच रहे हैं ।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी पहुंचे, महाराज ने महासू देवता के दरबार में मत्था टेका और प्रदेश की खुशहाली की कामना की।

महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में महासू देवता जागड़ा का उल्लेख किया है. यह हिमाचल और उत्तराखंड दोनों का एक समन्वय करने वाला तीर्थ स्थल है. जिसकी मान्यता दूर दूर तक है.

बता दें कि प्रसिद्ध जागड़ा मेले को धामी सरकार ने राजकीय मेला घोषित कर दिया है, इन दिनों मेले की रौनक देखते ही बनती है।

साल में एक बार होने वाले मेले में यहां से जुड़े प्रवासी जागड़ा में शामिल होने के लिए हनोल पहुंचते हैं, मंदिर की बेजोड़ वास्तु और स्थापत्यकला लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है.

इस मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रकृति के साथ ही मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को देखने का मौका मिलता है. इस मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण में भी शामिल किया गया है.

महासू देवता जौनसार बावर के साथ ही हिमाचल प्रदेश के ईष्ट देव भी हैं. इसके साथ ही महासू देवता मंदिर का राष्ट्रपति भवन से भी सीधा कनेक्शन है. मंदिर में हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है.

जौनसार बावर समेत हिमाचल के ईष्ट देवता हैं महासूः 

बता दें कि प्रसिद्ध महासू देवता (Mahasu Devta) चार भाई हैं. जिनमें बोठा महासूबाशिक महासूपवासी महासू और चालदा महासू हैं.बोठा महासू हनोल में विराजमान हैं.

जबकि, बाशिक महाराज का मंदिर मैंद्रथ में स्थित है. वहीं, पवासी देवता का मंदिर हनोल के कुछ ही दूरी पर ठडियार में है. वहीं, चालदा महासू को छत्रधारी महाराज भी कहते हैं.

चालदा महासू जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश  में भी इष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं.

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