विधानसभा में भाई-भतीजावाद के तहत 72 लोगों की बैक डोर भर्ती का मामला क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के गले की फांस बन गया है.
पहले कांग्रेस कार्यकर्ता आरएसएस के स्थानीय कार्यालय बायोडाटा लेकर भर्ती के लिए आवेदन के साथ पहुंचे थे. अब उत्तराखंड जन एकता पार्टी नेता कनक धनई ने भी भर्ती में अनियमितताओं को लेकर मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया
आज पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत कनक धनई अपने समर्थकों के साथ कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के ऋषकेश में हरिद्वार रोड स्थित निजी आवास का घेराव करने के लिए पहुंचे.
इस दौरान पहले से ही उन्हें रोकने के लिए चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस बल को वह चकमा देकर मंत्री प्रेमचंद के आवास तक पहुंच गए. इसकी भनक पुलिस को लगी, तो तमाम पुलिसकर्मियों के हाथ-पांव फूल गए.
इस बीच कनक धनई ने कैबिनेट मंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाए. पूर्व उत्तराखंड स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने विवेकाधीन कोष के इस्तेमाल में गड़बड़झाले का भी जिक्र किया.
धनई मे भर्ती की जांच होने तक नैतिकता के आधार पर मंत्री प्रेमचंद को पद से इस्तीफा मांगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं.
घेराव के प्रयास के दौरान नेशनल हाईवे से लेकर अग्रवाल के आवास के आसपास की सड़कों पर अफरा-तफरी जैसा माहौल नजर आया.
ये है पूरा मामला:
उत्तराखंड विधानसभा में साल 2021 में 72 लोगों की नियुक्ति की गई. अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला पदों पर विधानसभा में बैक डोर नियुक्ति हुई.
नियुक्तियों को लेकर बड़ी बात ये है कि विधानसभा ने विभिन्न पदों के लिए बकायदा विज्ञप्ति भी जारी की. विधानसभा ने जिन 35 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, उसकी दो बार परीक्षा रोकी गई.
सबसे बड़ी बात यह है कि नियुक्तियों की विज्ञप्ति में अभ्यार्थियों को ₹1000 परीक्षा शुल्क देना पड़ा, 8000 अभ्यार्थियों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया.
परीक्षा कई विवादों के बाद हुई लेकिन अभी तक इस परीक्षा का परिणाम नहीं आया. इसके पीछे हाईकोर्ट में रोस्टर को लेकर परीक्षा पर स्टे लगना बताया गया है. उधर इस बीच बैक डोर से 72 लोगों की नियुक्तियां करवा दी गयी.
बाकायदा इस मामले बात को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस बात को कबूल किया है कि बिना विज्ञप्ति के 72 लोगों की नियुक्ति की गई.
यही नहीं प्रेमचंद अग्रवाल ने इस बात को भी कबूला कि भर्ती में न सिर्फ उनके बल्कि मंत्रियों और रसूखदार लोगों के रिश्तेदार की नौकरियां विधानसभा में दी गयी.
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि इस भर्ती में उनके सगे संबंधी और कई मंत्रियों के सगे संबंधी भी शामिल हैं, क्योंकि वह काबिल थे.
जानकारी के मुताबिक 72 लोगों में 90% से ज्यादा उत्तराखंड के वीवीआईपी के सगे संबंधी रिश्तेदार यहां तक कि ड्राइवर और घर में खाना बनाने वाले भी विधानसभा में नियुक्त किये गए हैं.