“नेगी दा” ने एक बार खोली “लोकतंत्र ” की पोल, क्या आपने सुना ?

पहाड़ी जीवन को गाने वाले लोकगायक गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी अक्सर बिगडैल सियासत पर गीतों से कड़ा प्रहार करते है. नौछमी नरेणा गीत ने राज्य स्थापना के शुरुआती दिनों की सियासत को चित्रित किया तो वहीं कति कति खैलु जैसे गीतों से भ्रष्टाचार पर चोट की.

जिसे जनता ने भी हाथों हाथ लिया, इधर इन दिनों UKSSSC पर्चा लीक के साथ ही विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों का मामला मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में खूब छाया हुआ है.

क्या भाजपा क्या कांग्रेस ! सभी दलों के माननीय स्पीकरों ने बैकडोर से अपने चहेतों को रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी.

भले ही कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल विशेषाधिकारों का हवाला दे रहे हों लेकिन कहीं न कहीं ये विशेषाधिकार लोकतांत्रिक मूल्यों के पार जाते नजर आते हैंं.

लिहाज़ा लोकतंत्र में राजसी व्यवहार करने वाले नेताओं पर नेगी दा ने अपने जनगीत के माध्यम ने कड़ा प्रहार किया है. आज सुबह उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर लोकतंत्र मा जनगीत रिलीज किया है.

गीत की पहली पंक्ति हम त प्रजा का प्रजा रैं ग्यां लोकतंत्र मा, तुम जणि सेवक राजा ह्वैं ग्यां लोकतंत्र मा ! मौजूदा दौर में आम जनता और युवाओं की बेबसी और सत्ताधारियों की टशन का चित्रण बड़ी मार्मिकता से करती है.

भ्रष्टाचार में पक्ष विपक्ष के नेताओं की साझेदारी का इस गीत में बखूबी चित्रण किया गया है. साथ ही प्रदेश में सियासी लूट में नेताओं की बेसब्री का भी नेगीदा ने जिक्र किया है.

गीत के अंतिम पड़ाव में नेगी जी जनजागरण का हवाला देते हुए नेताओं को चेतवानी देते हैं कि अब ऐसा नहीं होने देंगे.

इस लिंक पर क्लिक कर सुनें नेगी दा का गीतhttps://youtu.be/iy8ZtMWliLw

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