उत्तराखण्ड ओपन विवि के पूर्व कुलपति प्रो विनय पाठक के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर थाने में कमीशनबाजी के आरोप में मामला दर्ज हुआ है…प्रो विनय पाठक पर बिलों के भुगतान के बदले 1.41 करोड़ वसूलने (15 प्रतिशत कमीशन) व जान से मारने की धमकी का आरोप लगा है। वर्तमान समय में वह कानपुर विवि के कुलपति है…
मामला दर्ज होने के बाद प्रो विनय पाठक व एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ जॉच शुरू हो गयी है।
अंबेडकर विवि की कार्यदायी एजेंसी डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डेविड मारियो डेनिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। उन्होंने अपने बयान में खा है की कंपनी ने 2014-15 से डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि, आगरा का प्री एवं पोस्ट परीक्षा से संबंधित कार्य किया था। इसके बाद वर्ष 2019-20 तक आगरा विवि के परीक्षा कार्य से संबंधित कार्य किया।
यही नहीं, वर्ष 2020-21 में यूपीएलसी के माध्यम से डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि, आगरा का प्री एवं पोस्ट परीक्षा का कार्य किया।
रिपोर्ट में डेविड ने कहा कि 2020- 21 व 2021-22 में किए गए कार्यों से संबंधित बिलों का भुगतान डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में बकाया था।
बिलों के भुगतान के लिए वे पूर्व कुलपति विनय पाठक से फरवरी महीने में कानपुर विश्वविद्यालय स्थित उनके आवास पर पहुंचे।
रिपोर्ट में कहा गया है पूर्व कुलपति प्रो विनय पाठक ने 15 प्रतिशत कमीशन का भुगतान करने पर बिल पास करने की बात कही। साथ ही धमकी दी कि कमीशन नहीं दोगे तो अन्य विवि से भी पीड़ित की कंपनी का अनुबंध समाप्त करवा देंगे।
निदेशक डेनिस ने कहा कि विनय पाठक ने लखनऊ के खुर्रमनगर निवासी एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा से मुलाकात कर कमीशन का भुगतान करने को कहा।
पीड़ित ने करोड़ों के बिलों के भुगतान के लिए 1 करोड़ 41 लाख रुपये का कमीशन दिया।
साथ ही प्रो विनय पाठक ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि, आगरा में 2022-23 का अनुबंध करने के लिए उनसे कमीशन मांगा। मना करने पर उन्हें जानमाल की धमकी दी। जहा अब यह काम अजय मिश्रा की कंपनी को दिलवा दिया गया है।