मई 2018 में फॉरेस्ट गार्ड के 1268 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी थी, 16 फरवरी 2020 को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी लेकिन परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल करने का मामला सामने आया था जिस पर पुलिस ने एसआईटी गठित की और कई अभ्यर्थियों को गिरफ़्तार किया गया था…
बाद में इस मामले में वादी और आरोपियों के बीच समझौता हो गया, जिसके चलते अदालत में केस खारिज हो गया। ऐसे में सभी आरोपी कुछ ही महीने के भीतर जेल से छूट गए। इस तरह एफआईआर, गिरफ्तारियों के बावजूद नकल के आरोपित कानूनी तौर पर प्रमाणित नहीं हो पाए।
बाद में केस आगे नहीं बढ़ पाया था जिस कारण नक़ल के आरोपियों को बरी कर दिया गया था अब उन्ही मुकदमे से बरी कई अभ्यर्थियों के लिए नौकरी की राह खुल गई है। सभी बरी अभ्यर्थियों को उत्तराखंड सेवा चयन आयोग ने शासन से स्वीकृति मिलने के बाद नियुक्ति से पहले दस्तावेजों के सत्यापन की औपचारिकता पूरी करने के लिए बुला लिया है।
आयोग इस माह के अंत तक वन विभाग को उन्हें नियुक्ति देने की सिफारिश कर देगा।
बता दे की फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में ब्लूटूथ से नकल करने का मामला सामने आने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए 47 युवाओं को आरोपी बनाया था। इसमें से नौ अभ्यर्थी शारीरिक परीक्षा के बाद अंतिम मेरिट लिस्ट में शामिल होने में कामयाब रहे थे। आयोग ने नकल के आरोप के चलते इन अभ्यर्थियों के अलावा शेष को नियुक्ति दे दी थी।
इस बीच अपने खिलाफ केस लंबित नहीं होने का तर्क देते हुए उक्त नौ अभ्यर्थियों ने वर्तमान में आयोग से नियुक्ति देने की मांग की थी जो की अब पूरी हो गयी है…