स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों को उत्तराखंड की सरकारी भर्तियों में अनुमन्य 2% आरक्षण को समाप्त किए जाने के प्रयासों की जांच की मांग करते हुए स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी कल्याण समिति के संरक्षक सुशील त्यागी ने राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्यसचिव को पत्र भेजे है।
जिसमे उन्होंने लिखा है की देशभक्तों के बलिदान व त्याग का प्रतिदान कोई भी राष्ट्र या राज्य नहीं कर सकता है। सेनानी परिवारों के लिए उत्तराखंड राज्य द्वारा उपलब्ध सुविधाएं इनके प्रति प्रतिदान है।
राज्य गठन से 28 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के आश्रितों(DFF) को वर्ष 1972 में जारी शासनादेश तथा उत्तर प्रदेश लोकसेवा (शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण) अधिनियम 1993 के अंतर्गत,वर्तमान में उत्तराखंड में भी 2% आरक्षण विधिवतअनुमन्य है जिसका स्पष्ट उल्लंघन किया गया है और यह अभी भी जारी है।
इसका उदाहरण लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में प्रवक्ता के 571 पदो पर भर्तियां दिनांक 8 अक्टूबर 2020 को विज्ञापित की गई थी। इसमे इनको कोई आरक्षण अनुमन्य नहीं था।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में सहायकअध्यापकों(L.T.)के 1431 पदों पर भर्ती हेतु 13 अक्टूबर 2020 को भर्तियां विज्ञप्ति की गयी थी।इनमे DFF के लिए नियमानुसार अनुमन्य 28 पदों के विरुद्ध मात्र 9 पद ही आबंटित किए गए।
इसी प्रकार लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस परीक्षाओं हेतु दिनांक 8 अगस्त 2021 को जारी विज्ञापन में कुल विज्ञापित 321 पदो मे अनुमन्य 6 पदो के सापेक्ष मात्र 3 पद ही आरक्षित किए गए।बाद में संशोधित विज्ञापन में इनको भी खत्म कर दिया गया।
लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक लेखाकार के 661 पदों की भर्ती हेतु दिनांक 28 अक्तूबर 2022 को जारी विज्ञापन में नियमानुसार अनुमन्य 13 पदों के सापेक्ष मात्र 3 पद ही आरक्षित किए गए।
अब लोक सेवा आयोग द्वारा माध्यमिक विद्यालयों के 474 प्रवक्ता पदों हेतु दिसंबर 2022 में जारी होने वाले विज्ञापन मे भी DFF को कोई आरक्षण नहीं दिए जाने की विश्वसनीय सूचना है।त्यागीं ने कहा है की ये गभीर प्रकरण है जिनपर उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है।