मुकुल बडोनी जो अपनी चित्रकला से जिंदा रखते है अपने उत्तराखंड की पहचान को

एक राज्य की पहचान उसकी संस्कृति से होती है उसके खान-पान से होती है इस संस्कृति को आगे आने वाली पीढ़ी को बताने का जिम्मा कहीं ना कहीं युवाओं के कंधों पर होता है।

यह एक ऐसे ही युवा की कहानी है जो अपनी चित्रकला से शहर भर की दीवारों को संस्कृति से रंग देता है यह युवा है मुकुल बडोनी। 12वीं की पढ़ाई के बाद कला में रुझान बढ़ा तो उन्होंने आगे भविष्य कलाकृति में ही निखारने की सोची।

वह ना सिर्फ खुद दीवारों पर कलाकृति बनाते हैं बल्कि अन्य युवाओं को भी इस ओर आकर्षित करते हैं साथ ही उनको इस चित्रकला का ज्ञान भी देते हैं। उत्तरकाशी के महाविद्यालय में मुगल चित्रकला के अध्यापक है और आगे आने वाली पीढ़ी को चित्र के माध्यम से जागरूक करने की सलाह व ज्ञान परोसते है।

मुकुल का कहना है कि वह अपनी चित्रकला से लोगों को अपनी संस्कृति की ओर रुझान दिखाना चाहते हैं हमारी आगे आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति अपनी माटी से जुड़ी रहे जिसके लिए वह निरंतर प्रयास करते रहेंगे।

एक wall painting चित्रकार के सामने कई चुनौती भी सामने आती है…धूप हो या बारिश एक चित्रकार को हर चुनौती के लिए तैयार रहना पड़ता है।

आज के समय में डॉक्टर, इंजिनियर जैसे क्षेत्रों में हर कोई जा रहा है लेकिन एक चित्रकला के क्षेत्र में जाना कठिन जरूर है लेकिन सबके साथ से ही हम इस पर कदम बढ़ा सकते है।

इस टेक्नोलॉजी के जमाने में हमे अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी साथ लेकर चलना जरूरी है।

उत्तराखंड की संस्कृति में शामिल ऐप कला से ना सिर्फ उत्तराखंड की दीवारों को रंग देते हैं बल्कि उस के माध्यम से अपने उत्तराखंड की पहचान को संजोना चाहते हैं। मुकुल अपनी चित्रकला में नाथ को शामिल करना नहीं बोलते उनकी कला में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है उनका कहना है कि देश भर में उत्तराखंड की नथ काफी प्रचलित है नथ की यह परंपरा उत्तराखंड से ही है ऐसे में नथ को अपनी हर चित्रकला में शामिल करना वह जरूरी मानते है।

 

 

वही नए युवाओं से उन्होंने यह भी अनुरोध किया है पहले अपने काम में प्रफेक्शन जरूरी है, एक चित्रकार को पहले रंगो की परख के साथ साथ दीवारों को समझना भी जरूरी होता है।

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