निर्दोष कार्मिकों के पक्ष में उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में करूंगा निशुल्क स्वयं पैरवी: सुब्रमण्यम स्वामी

उत्तराखंड पहुंचे सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रेस वार्ता कर उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त हुए निर्दोष 228 कार्मिकों का मामला उठाया है उन्होंने कहा की इस मामले के पक्ष एवम विपक्ष सभी पहलु को जनता के बीच उठाया भी है… उन्होंने बर्खास्त कार्मिकों की पैरवी करते हुए कहा की बेकसूर बर्खास्त कार्मिकों के साथ हुए अन्याय को सबके बीच रखने आए है…

उन्होंने कहा कि मामला जब उनके संज्ञान में आया, तो उन्होंने इस पूरे विषय का गंभीरता से अध्ययन किया, एक एक बारिक पहलू को जाना| सुनकर थोड़ा अजीब भी लगा हैरान हुआ कि ऐसा कैसे हो सकता है, एक ही संस्थान में एक ही प्रक्रिया से नियुक्ति पाए कार्मिकों की वैधता में दो अलग-अलग निर्णय कैसे, कुछ लोगों की नियुक्ति को अवैध बताने के बाद भी बचाया गया है एवं कुछ लोगों को अवैध करार कर भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाकर बर्खास्त भी कर दिया गया, यह कार्यवाही कहीं से भी उचित नहीं लगती| एक विधान एक संविधान का उल्लंघन हुआ है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2001 से वर्ष 2022 तक एक समान है जोकि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित कोटिया कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है साथ ही उत्तराखंड सरकार के महाधिवक्ता ने भी इस विषय पर अपनी कोई राय देने से इनकार किया है| सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर बर्खास्त कार्मिकों की बहाली के लिए अनुरोध किया था, उस पत्र पर क्या कार्रवाई हुई वह अभी नहीं जानते |
प्रेस वार्ता के माध्यम से वह बर्खास्त कार्मिकों की आवाज बन कर पहुंचे , सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है की उत्तराखंड के इन युवाओं के साथ न्याय हो| जिस देश के संविधान में आर्टिकल 14 समानता का अधिकार देता है वहां एक विधान एक संविधान की परिभाषा को कलंकित करने का कार्य किया गया है| साथ ही अगर उत्तराखंड सरकार और विधानसभा सचिवालय उनके द्वारा लिखे हुए पत्र पर विचार नहीं करती है तो वह निर्दोष कार्मिकों के पक्ष में उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में निशुल्क स्वयं पैरवी करेंगे , बर्खास्त कार्मिकों को न्याय दिलाने का काम करेंगे | उत्तराखंड सरकार एवं विधानसभा सचिवालय
को चाहिए कि कार्मिकों के संबंध में सर्वदलीय बैठक बुलाकर या फिर किसी अन्य प्रक्रिया से सकारात्मक निर्णय लेकर बहाली की जाए| सरकार का मकसद रोजगार देना होना चाहिए ना कि रोजगार को छीना जाए|

उनका कहना है की उन्हें कोई गुरेज नहीं है सही को सही और गलत को गलत कहने का जो न्याय संगत है मैं उसी पर विचार करके इन कार्मिकों को पुनः बहाल होते देखना चाहते है | जो पहाड़ की युवक एवं युवतियां आज अपने जायज न्याय की मांग को लेकर 2 महीने से सड़कों पर बैठे हैं उनके साथ न्याय जरूर होना चाहिए, इसके लिए वह सभी कार्मिकों के साथ जुड़े है…

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