उत्तराखंड में जल्द ही शुरू होने जा रही चार धाम यात्रा में बड़ी संख्या में यात्रियों को हेलीकॉप्टर सेवा का भी लाभ मिल सकता है… लेकिन कई बार हुए हेलीकाप्टर हादसे होने की वजह से यात्रियों में यात्रा को लेकर ख़ौफ़ भी है… ऐसे में यात्रा से पहले सतर्कता बरतते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने मंगलवार को 2023 के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा तीर्थ यात्रा कराने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों और
संबंधित श्राइन बोर्डों या जिला प्रशासन के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
सर्कुलर में कहा गया है कि अमरनाथ, केदारनाथ , मां वैष्णोदेवी चार धाम, माता मछैल, मणि महेश आदि धार्मिक तीर्थों के लिए हर साल हेलीकॉप्टर सेवा संचालित की जाती है। ये सेवा कई हेलीकॉप्टर एनएसओपी (गैर-अनुसूचित संचालक) धारकों द्वारा संबंधित श्राइन बोर्डों और जिला प्रशासनों के समन्वय से संचालित की जाती हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि इन तीर्थ स्थानों, मंदिरों में से अधिकांश मंदिर पहाड़ियों में स्थित हैं। जहां मौसम अचानक बदलता है। ऐसी स्थितियों में यहां हेलीकॉप्टर सेवा संचालित की जाती है। कई बार ये बेहद खतरनाक भी होता है। हेलीपैड पर लगाए जाएं सीसीटीवी कैमरे
सर्कुलर में हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए जो दिशानिर्देश दिए गए हैं…
उनमें हेलीपैड सुरक्षा क्षेत्र के साथ-साथ टेक-ऑफ और एप्रोच फ़नल को कवर करते हुए हेलीपैड पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की बात कही गई है। साथ ही कहा गया है कि बिजली आउटेज के कारण डेटा के किसी भी नुकसान को कम करने के लिए स्टैंडबाय बिजली आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही रिकॉर्ड किए गए डेटा को न्यूनतम 14 दिनों की अवधि के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
इन दिशा निर्देशों में आगे एआईआरएस (एयरबोर्न इमेज रिकॉर्डिंग सिस्टम) के बारे में भी बताया गया है। इसमें कहा गया है कि तीर्थयात्रा में प्रयोग किए जाने वाले हेलीकॉप्टर में एआईआरएस (एयरबोर्न इमेज रिकॉर्डिंग सिस्टम) का प्रयोग किया जा रहा है। सर्कुलर में आगे कहा गया है कि इसके जरिए रिकॉर्ड किए गए डेटा को कम से कम 14 दिनों की अवधि के लिए सेव करके रखा जाना चाहिए। सभी हेलीकॉप्टर एआईआरएस के साथ ही 2023 के तीर्थयात्रा के लिए सक्रिय किए जाएंगे।