सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में महंगी किताबों के बोझ से अभिभावकों को राहत देने के लिए एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का निर्णय लिया था। सरकार के इस आदेश के बाद अभिभावकों द्वारा यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि अब किताबे खरीदते हुए उनको आर्थिक राहत मिलेगी लेकिन सरकार का यह कदम सफल नहीं होता दिख रहा था।
कई प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों से महंगी किताबें खरीद वाने का नया रास्ता तलाशा अब सहायक किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब में सेंट लगाई जा रही है। कई कक्षाओं में सहायक किताबों की कीमत एनसीईआरटी की पूरी किताबों के मूल्य से दो 3 गुना तक ज्यादा है वहीं कुछ स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबों की सामग्री को कमतर बताते हुए खारिज कर दिया है।
अभिभावकों की इस शिकायत पर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा संज्ञान लेते हुए कहा गया है कि सरकार के इस आदेश को निजी विद्यालयों द्वारा अनुपालन नहीं करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी साथ ही कहा की सभी विद्यालयों को सरकार के इस आदेश का अनुपालन अनिवार्य रूप से करवाना सुनिश्चित किए जाने का आदेश जारी किया गया है।
आयोग के सदस्य विनोद कपरवान ने इस बाबत महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को पत्र लिख कर उपरोक्त के क्रम में शीघ्र कार्रवाई के लिए आदेशित किया है।