राशन विक्रेताओं की दुकानों से अभिलेख गायब, आयोग ने आपूर्ति विभाग को लगाई फटकार

राशन की सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से जुड़े कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां राशन विक्रेताओं पर आरोप लगा है कि वह राशन में घपले करते हैं.

हालांकि केंद्र सरकार द्वारा अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए इसका डिजिटलाइजेशन हुआ है जिसमें बायोमेट्रिक के माध्यम से लोगों में राशन दिया जा रहा है.
इसी बीच उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से अभिलेख नदारद हैं।
हाल ही में सूचना आयोग से सूचना के अधिकार के तहत तीन आईटीआई कार्यकर्ताओं ने राशन विक्रेताओं के अभिलेखों से सम्बंधित सूचना मांगी तो यह मामला प्रकाश में आया.

हरिद्वार जिले के खाद्य आपूर्ति विभाग पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं कि राशन विक्रेताओं के अभिलेख कैसे गायब हो गए हैं और कहां गए हैं और विभाग को इसकी जानकारी कैसे नहीं हुई ?

रिपोर्ट के मुताबिक धारा 18 में दर्ज की गई शिकायतकर्ता अनुज कुमार की शिकायत पर सुनवाई करते हुए

सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा है कि “शिकायतकर्ता अपने सहयोगियों के साथ मिलकर संगठित गिरोह के रूप में राशन विक्रेताओं से सूचना मांगते हैं तो इस पर सवाल खड़े होते हैं . उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार के तहत जनहित के मुद्दों पर सूचना मांगी जा सकती है लेकिन यदि इसमें व्यक्तिगत तौर पर निजी लाभ लेने की मंशा छुपी हो तो यह अपराध भी हो सकता है.
वहीं दूसरी तरफ सूचना आयुक्त ने यह भी कहा कि “राशन विक्रेताओं की दुकानों से अभिलेखों के गायब होने और उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट करने पर भी सवाल खड़े होते हैं कि कहीं राशन वितरण प्रणाली में अनियमितता के सबूतों को नष्ट करने के लिए तो यह काम नहीं किया गया? आयोग द्वारा हरिद्वार के जिला आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा है कि जिले के राशन विक्रेताओं की दुकानों से कितने अभिलेख गायब हुए हैं और कहां गए हैं, इसकी जांच की जाए.
जिला आपूर्ति विभाग को 1 महीने का समय देते हुए राज्य सूचना आयोग ने कहा है कि जनपद के कितने राशन विक्रेताओं की दुकानों के अभिलेख गुम हुए हैं और किन-किन थानों में इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई है और अभिलेखों के गायब होने का कारण क्या है? इसकी जांच की जाए।

हरिद्वार के जिला पूर्ति विभाग को सूचना विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि जांच करने के बाद इस पर विचार किया जाए कि जो राशन विक्रेता अभिलेखों को जिम्मेदारी पूर्वक सुरक्षित नहीं रख सकता है वह जिम्मेदारी पूर्वक राशन वितरण प्रक्रिया कैसे पूरी करता होगा?

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