मंदाकिनी में सीवेज बहाने का आरोप; NGT सख्त, उत्तराखंड सरकार मांगा टाइम लाइन वाला हलफनामा

एक याचिका में मंदाकिनी नदी में सीवेज बहाए जाने के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में एनजीटी ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए उत्तराखंड सरकार को एसटीपी लगाए जाने के लिए समय सीमा बताने का निर्देश दिया है।

एक याचिका में मंदाकिनी नदी में सीवेज बहाए जाने के आरोप लगाए गए हैं। अब इस मामले में एनजीटी ने सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तराखंड सरकार को केदारनाथ में उचित सीवेज ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का इंतजाम करने के लिए समय सीमा बताने का निर्देश दिया। एनजीटी उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया है कि मंदाकिनी नदी में सीवेज बहाया जा रहा है। यही नहीं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की कमी के चलते नदी प्रदूषित हो रही है।

बता दें कि एनजीटी ने जमीनी हकीकत जानने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट और देहरादून में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति बनाई थी। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने सुनवाई के दौरान इस समिति की रिपोर्ट पर गौर किया। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि केदारनाथ में सीवेज के ट्रीटमेंट के लिए कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं है।

एनजीटी ने कहा कि समिति ने पाया है कि केदारनाथ में ठोस और प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए कोई प्लांट नहीं लगाया गया है। अनुमान है कि केदारनाथ में सीजन के दौरान हर रोज 1.667 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। एनजीटी की सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल रहे। इस पीठ ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सुविधाओं को बढ़ाने के लिए समिति के सुझाव पर गौर किया।

पीठ ने कहा कि पैनल ने अपने दौरे के दौरान कई स्थानों पर ढेर सारा निर्माण और विध्वंस कचरा पाया है। रिपोर्ट के अनुसार, 600 किलोलीटर प्रति दिन क्षमता वाला एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया जा रहा है। यह दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। हालांकि, एनजीटी ने कहा कि इस एसटीपी की क्षमता भी नाकाफी है। यही नहीं आसपास मौजूद भवनों को सीवेज कनेक्शन प्रदान करने के लिए कोई टाइमलाइन भी नहीं दी गई है। इसके साथ एनजीटी ने अगली सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तारीख दी।

इसके साथ ही एनजीटी ने कहा- हम उत्तराखंड को केदारनाथ में पर्याप्त क्षमता के साथ उचित सीवेज ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने और संयुक्त समिति के सुझावों को लागू करने के लिए हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं। इस हलफनामे में यह ट्रीटमेंट प्लांटों को शुरू किए जाने की डेडलाइन भी होनी चाहिए। हम यह भी निर्देश देते हैं कि अगले सीजन से पहले सीवेज सोखने वाले गड्ढों का उचित रखरखाव किया जाना चाहिए। यही नहीं सीवेज सिस्टम से 600 केएलडी एसटीपी तक 100 फीसदी कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here