केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है। उनकी लोकप्रियता को देखकर ही भाजपा हाईकमान ने उत्तर ही नहीं बल्कि दक्षिण के राज्यों में भी उन्हें बतौर युवा स्टार प्रचारक लोकसभा चुनाव के प्रचार में भेजा, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। बीते लोकसभा चुनाव में उत्तराखण्ड की पांचों लोकसभा सीटों पर भी धामी ने ताबड़तोड़ जनसभाएं, रैली और रोड शो किए। प्रदेश के भीतर 90 से अधिक चुनावी सभाएं, रोड शो और सीधा जनसंवाद करके धामी ने पार्टी के पांचों प्रत्याशियों को कंफर्ट जोन में खड़ा करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सभी पांचों सीटें भाजपा की झोली में गईं। अन्य चरणों के चुनाव में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे बढ़े राज्यों में अब उन्हें प्रचार के लिए भेजा गया। महाराष्ट्र और झारखण्ड में हुए विधानसभा चुनाव में भी धामी ने कई जनसभाएं कीं। उत्तराखण्ड में धामी से पहले किसी राजनैतिक दल का शायद ही कोई ऐसा मुख्यमंत्री रहा हो जिसका पार्टी के चुनाव प्रचार में इतना व्यापक उपयोग किया गया हो। यहां तक कि नारायण दत्त तिवारी, हरीश रावत और भुवन चंद खण्डूड़ी जैसे दिग्गज भी प्रचार के लिहाज से दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रहे।