रोपवे निर्माण के लिए 26 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित
केदारनाथ यात्रा 30 मिनट में पूरी होगी
पांच स्टेशन और 22 टॉवर होंगे शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारनाथ रोपवे के निर्माण को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद कार्य में तेजी आ गई है। प्रधानमंत्री ने 21 अक्टूबर 2022 को केदारनाथ पहुंचकर इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया था। इसका उद्देश्य केदारनाथ यात्रा को अधिक सरल और सुलभ बनाना है।
अक्टूबर 2025 से इस रोपवे का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए निविदा प्रक्रिया 19 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी, जिसके बाद डिजाइन और अन्य आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। 13 किमी लंबे इस रोपवे का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में गौरीकुंड से केदारनाथ तक 9.7 किमी का निर्माण होगा, जबकि दूसरे चरण में सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 3.3 किमी लंबा रोपवे बनाया जाएगा।
इस परियोजना की जिम्मेदारी भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड को सौंपी है। बीते दो वर्षों में एजेंसियों ने प्रशासन और वन विभाग के सहयोग से हवाई और भूमिगत सर्वेक्षण सहित सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। इसके लिए कुल 26 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ की यात्रा केवल 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी। शुरुआती चरण में यह रोपवे प्रति घंटे 1,800 यात्रियों को लाने और ले जाने में सक्षम होगा, जिसे बाद में बढ़ाकर 3,500 यात्रियों तक किया जाएगा।
इस रोपवे में कुल 22 टॉवर होंगे, जो विशेष रूप से डिजाइन किए गए गोंडोलों (केबिन) को सहारा देंगे। इसके अलावा, सोनप्रयाग, गौरीकुंड, चिरबासा, लिनचोली और केदारनाथ जैसे पांच स्टेशन बनाए जाएंगे। इनमें चिरबासा और लिनचोली को तकनीकी स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में इनका उपयोग किया जा सके।