मां पूर्णागिरि धाम में रोपवे निर्माण को झटका, कंपनी को अनुबंध रद्द करने का नोटिस, ये है वजह
मां पूर्णागिरि धाम में रोपवे निर्माण से श्रद्धालुओं के लिए आवाजाही आसान होगी लेकिन कंपनी इस दिशा में अच्छी प्रगति नहीं दिखा पाई। इसके चलते यूटीडीबी ने कंपनी के निदेशक को अनुबंध समाप्त करने का नोटिस दिया है। मां पूर्णागिरि धाम धार्मिक और आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस तीर्थस्थल तक श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने रोपवे निर्माण की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत दिल्ली की पूर्णागिरि रोपवे प्रोजेक्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन अब यह परियोजना संकट में आ गई है, क्योंकि निर्धारित समयसीमा के बावजूद रोपवे निर्माण में अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने इस परियोजना को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। परियोजना के तहत निर्माण कार्य 30 अप्रैल 2025 तक पूरा होना था, जिससे श्रद्धालुओं को धाम तक पहुंचने में अधिक सुविधा होती। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि अभी तक रोपवे की आधारभूत संरचना भी तैयार नहीं हो सकी है। यह देरी न केवल निर्माण कार्य को बाधित कर रही है, बल्कि इससे श्रद्धालुओं को होने वाली संभावित सुविधाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसी के मद्देनजर उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने कंपनी के निदेशक को अनुबंध रद्द करने का नोटिस जारी किया है। इस निर्णय के बाद अब यह स्पष्ट नहीं है कि रोपवे निर्माण कार्य कब तक पूरा होगा और इसकी आगे की योजना क्या होगी।
ज्ञात हो कि कंपनी के साथ यह अनुबंध अक्टूबर 2012 में हुआ था, और इसे समयबद्ध रूप से पूरा किया जाना था। मां पूर्णागिरि धाम, जो टनकपुर नगर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, पूरे वर्षभर श्रद्धालुओं से भरा रहता है। यहां आने वाले भक्तों को अब तक पैदल यात्रा करनी पड़ती थी, जो खासकर बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों के लिए कठिनाई का कारण बनती है। रोपवे निर्माण की योजना इस उद्देश्य से बनाई गई थी कि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के आसानी से मां पूर्णागिरि धाम तक पहुंच सकें। लेकिन ठेकेदार कंपनी इस दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं दिखा सकी, जिससे इस परियोजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
मां पूर्णागिरि धाम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह स्थल केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, खासकर नवरात्रि के समय लाखों भक्त दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। इस भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए सरकार ने रोपवे निर्माण का निर्णय लिया था, ताकि तीर्थयात्रियों की सुविधा में सुधार किया जा सके और उन्हें सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिल सके। लेकिन जब से इस परियोजना की घोषणा हुई है, तब से अब तक इसके निर्माण में लगातार देरी हो रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना मानी जा रही थी, जिसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को बेहतर परिवहन सुविधा देना था। लेकिन जब कंपनी की ओर से निर्माण कार्य में गंभीरता नहीं दिखाई गई और कार्य की गति अत्यंत धीमी रही, तो यूटीडीबी ने सख्त रुख अपनाते हुए कंपनी को अनुबंध रद्द करने का नोटिस जारी कर दिया। अब यह देखना होगा कि इस परियोजना का भविष्य क्या होगा और इसे पूरा करने के लिए आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।
यूटीडीबी के अपर सचिव और अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक रुहेला ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि पूर्णागिरि रोपवे निर्माण में अनावश्यक देरी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सचिव स्तर की अध्यक्षता में होने वाली आगामी बैठक में इस परियोजना को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि सरकार अब इस परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए कोई नया निर्णय ले सकती है, ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो।
रोपवे निर्माण से संबंधित यह मुद्दा स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब सरकार और पर्यटन विभाग को यह तय करना होगा कि वे इस परियोजना को आगे कैसे बढ़ाएंगे। यदि नई कंपनी को इस परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो यह भी देखना होगा कि वह इसे कितने समय में पूरा कर सकती है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मां पूर्णागिरि धाम में रोपवे निर्माण का कार्य अभी भी अनिश्चितता के घेरे में है। श्रद्धालुओं को इस सुविधा का लाभ कब तक मिलेगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन सरकार और पर्यटन विभाग इस परियोजना को पूरा करने के लिए जल्द ही नए निर्णय ले सकते हैं।