ऑपरेशन स्माइल: 2509 गुमशुदा परिजनों को मिला अपनों का साथ
देहरादून। उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा संचालित ऑपरेशन स्माइल अब तक का सबसे सफल और संवेदनशील अभियान बनकर सामने आया है।
वर्ष 2024 में दो चरणों में चलाए गए इस विशेष अभियान के अंतर्गत रिकॉर्ड 2509 गुमशुदा व्यक्तियों को खोजकर उनके परिजनों से मिलाया गया। इनमें 845 बच्चे, 709 पुरुष और 955 महिलाएं शामिल हैं।

पुलिस मुख्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में पुलिस प्रमुख ने कहा कि यह अभियान केवल एक खोजी प्रयास नहीं बल्कि मानवीय संवेदना, जिम्मेदारी और सेवा भाव का प्रतीक है। नोडल अधिकारी अभिनय चौधरी द्वारा अभियान की कार्यप्रणाली और उपलब्धियों की जानकारी दी गई। अभियान के तहत गठित 26 खोज टीमों में महिला पुलिसकर्मी, अभियोजन अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल रहे। टीमों ने उत्तराखण्ड सहित अन्य राज्यों में जाकर सघन खोज अभियान चलाया और लावारिस शवों का गुमशुदा रिपोर्ट से मिलान भी कराया। कई मामलों में वर्षों से लापता व्यक्तियों को उनके परिवारों से पुनः मिलाया गया।

तकनीक और समर्पण से बदली ज़िंदगियाँ
“ऑपरेशन स्माइल” केवल एक पुलिस कार्यवाही भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मानवीय अभियान है जिसने हजारों परिवारों की ज़िंदगियों में आशा और विश्वास की नई रोशनी जगाई है। यह पहल उन असंख्य परिवारों के लिए एक नई उम्मीद बनकर सामने आई है, जो वर्षों से अपने खोए हुए परिजनों की राह तक रहे थे। उत्तराखण्ड पुलिस ने इस अभियान को न सिर्फ संवेदनशीलता और गंभीरता से लिया, बल्कि सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बावजूद इसे निरंतर सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।
इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी और तब से अब तक “ऑपरेशन स्माइल” के अंतर्गत कुल 7120 गुमशुदा व्यक्तियों को खोजकर सकुशल उनके परिजनों से मिलाया जा चुका है। यह एक असाधारण उपलब्धि है, जिसमें 3331 गुमशुदा बच्चे, 1627 पुरुष और 2162 महिलाएं शामिल हैं। इन आंकड़ों के पीछे वर्षों की मेहनत, संवेदनशीलता और अथक प्रयास छिपे हैं। यह आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं हैं, बल्कि हर एक पुनर्मिलन एक जीवन में फिर से लौटी मुस्कान, एक माँ की गोद में वापस आया बच्चा, और एक बिछड़े पति या पत्नी से मिलन की कहानी है।
उत्तराखण्ड पुलिस की यह मुहिम दर्शाती है कि जब तकनीक और समर्पण साथ चलते हैं, तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है। पुलिस विभाग ने इस कार्य में उन्नत तकनीकी उपकरणों और प्रणालियों का उपयोग किया है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए, “ऑपरेशन स्माइल” को और अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जाएगा। इसके अंतर्गत नेटग्रिड जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर पुराने लंबित मामलों की भी पुनः समीक्षा की जाएगी, ताकि ऐसे केसों में भी नई प्रगति हो सके, जिनमें वर्षों से कोई सुराग नहीं मिल पाया था।

इस अभियान के अंतर्गत जब गुमशुदा परिजनों को उनके अपनों से मिलवाया गया, तो कई भावुक क्षण सामने आए। न जाने कितने माता-पिता, जिनकी आँखों से वर्षों से उम्मीद का उजाला जाता रहा था, फिर से रोशन हो उठीं। कुछ परिवारों ने खुले दिल से स्वीकारा कि उन्होंने अपने अपनों को दोबारा देखने की आस ही छोड़ दी थी, लेकिन “ऑपरेशन स्माइल” और उत्तराखण्ड पुलिस की अथक कोशिशों ने उनके जीवन में फिर से वो उम्मीद जगाई। ऐसे पुनर्मिलन केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं।
हाल ही में आयोजित समीक्षा बैठक में, “ऑपरेशन स्माइल” के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। यह सम्मान केवल उनकी कर्तव्यनिष्ठा के लिए नहीं, बल्कि उनके मानवीय पक्ष और संवेदनशीलता को भी मान्यता देने का प्रतीक है। ऐसे प्रयास, जिनमें केवल कानून पालन ही नहीं बल्कि मानवता और करुणा की भावना भी हो, समाज को बेहतर और सुरक्षित बनाते हैं।
“ऑपरेशन स्माइल” न केवल उत्तराखण्ड पुलिस की कार्यकुशलता का उदाहरण है, बल्कि यह एक मिसाल है कि कैसे प्रशासनिक प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह अभियान उन सभी के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि सही नीयत और निरंतर प्रयास से कोई भी बदलाव संभव है।