देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के पावन अवसर पर राजभवन स्थित उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए तथा उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राजभवन परिसर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लेकर डॉ. आंबेडकर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
राज्यपाल ने इस अवसर पर डॉ. आंबेडकर के जीवन और उनके बहुआयामी योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि वे केवल भारतीय संविधान के निर्माता नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी चिंतक, समाज सुधारक, विधिवेत्ता और मानवाधिकारों के सजग प्रहरी भी थे। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन को सामाजिक असमानता, भेदभाव और शोषण के विरुद्ध संघर्ष करते हुए व्यतीत किया। डॉ. आंबेडकर ने कमजोर, वंचित, पिछड़े और शोषित वर्गों की आवाज को बुलंद किया और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अथक प्रयास किए।
राज्यपाल ने कहा कि डॉ. आंबेडकर का जीवन दर्शन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ है। उन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना की थी, जहाँ हर नागरिक को समान अधिकार प्राप्त हों, चाहे उसकी जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। उनका यह सपना आज भी हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को दिशा देता है।
उन्होंने यह भी कहा कि बाबासाहेब का योगदान न केवल भारतीय संविधान के निर्माण तक सीमित है, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज की सोच और संरचना को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। वे एक ऐसे युगपुरुष थे, जिन्होंने न केवल विचारों की क्रांति लाई, बल्कि अपने कर्मों से भी समाज को दिशा दिखाई।
राज्यपाल ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के विचार और आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे। उनके सिद्धांत और उनके द्वारा स्थापित मूल्य आने वाली पीढ़ियों को एक समतामूलक, न्यायपूर्ण और समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे बाबासाहेब के आदर्शों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।