केदारनाथ भगदड़ की फर्जी खबर सोशल मीडिया पर वायरल, दो लोगों पर मुकदमा दर्ज

सोशल

केदारनाथ यात्रा में भगदड़ की झूठी सूचना सोशल मीडिया पर फैलाई, दो सोशल मीडिया यूजर्स पर मुकदमा दर्ज

अफवाह फैलाकर धार्मिक स्थल की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश, प्रशासन और पुलिस सख्त, सोशल मीडिया पर गतिविधियों की निगरानी बढ़ी

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड — चारधाम यात्रा के तहत चल रही केदारनाथ धाम यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर भगदड़ की झूठी सूचना फैलाने का मामला सामने आया है। इस मामले में प्रशासन ने त्वरित संज्ञान लेते हुए दो सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर दी है। अफवाह फैलाकर यात्रियों में दहशत पैदा करने और धार्मिक यात्रा की छवि को नुकसान पहुंचाने के प्रयास को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।

एफआईआर में जिन दो व्यक्तियों के नाम दर्ज किए गए हैं, वे हैं विराट मीणा, निवासी टांक, राजस्थान, और देवजीत दास, निवासी हुगली, पश्चिम बंगाल। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने अपने-अपने सोशल मीडिया खातों पर केदारनाथ यात्रा के दौरान भगदड़ की स्थिति दर्शाती हुई भ्रामक रील और वीडियो साझा की, जो पूरी तरह झूठ और मनगढ़ंत थीं।

झूठी रील और वीडियो से फैली अफवाह

प्रशासन के अनुसार, वायरल की गई वीडियो में यह दर्शाने की कोशिश की गई थी कि केदारनाथ मंदिर परिसर में भारी भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे यात्रियों की जान को खतरा है। लेकिन पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने जांच कर स्पष्ट किया कि ऐसी कोई घटना मौके पर घटित ही नहीं हुई। वीडियो को भ्रम फैलाने के उद्देश्य से संपादित कर प्रस्तुत किया गया।

इन वीडियो के साथ-साथ दोनों सोशल मीडिया यूजर्स ने यात्रा व्यवस्था से संबंधित टोकन प्रणाली पर भी आपत्तिजनक और भ्रामक टिप्पणियां पोस्ट कीं। उन्होंने यह दर्शाने की कोशिश की कि टोकन काउंटर अव्यवस्थित हैं, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। प्रशासन ने इस तरह की पोस्ट्स को “गैरजिम्मेदाराना और झूठा प्रचार” करार दिया है।

सूचना अधिकारी की तहरीर पर दर्ज हुआ मुकदमा

जिला सूचना अधिकारी वीरेश्वर तोमर ने इस प्रकरण पर कोतवाली रुद्रप्रयाग में औपचारिक तहरीर दी, जिसमें उन्होंने दोनों व्यक्तियों पर अफवाह फैलाने, भ्रम पैदा करने और यात्रा की गरिमा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। तहरीर के आधार पर पुलिस ने आईटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

फोटोग्राफी और रील पर सख्त प्रतिबंध

प्रशासन ने एक बार फिर यह दोहराया है कि केदारनाथ मंदिर परिसर से 15 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी या रील बनाना प्रतिबंधित है। यह प्रतिबंध यात्रियों की सुविधा, सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं की गरिमा को बनाए रखने के उद्देश्य से लगाया गया है। प्रशासन ने कहा कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सोशल मीडिया पर बढ़ी निगरानी

पुलिस उपाधीक्षक विकास पुंडीर ने इस मामले में स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर धार्मिक स्थलों को लेकर फैलाई जा रही झूठी सूचनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि केदारनाथ यात्रा से संबंधित किसी भी प्रकार की भ्रामक या भय उत्पन्न करने वाली वीडियो को डाउनलोड कर, साझा करने या प्रचारित करने पर भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सोशल मीडिया यूजर्स को चेतावनी दी कि वे बिना पुष्टि के कोई भी वीडियो या सूचना न फैलाएं।

उन्होंने कहा, “ऐसी वीडियो या रील न केवल भ्रम फैलाती हैं, बल्कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकती हैं। हम यात्रा की पवित्रता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर निगरानी तेज कर दी गई है और अफवाह फैलाने वालों की पहचान की जा रही है।”

जिला प्रशासन और पुलिस ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर यह साफ किया है कि केदारनाथ यात्रा क्षेत्र में पूरी व्यवस्था नियंत्रण में है। यात्री निर्धारित मार्गों, टोकन व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण नियमों का पालन करते हुए यात्रा कर रहे हैं। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या भगदड़ की कोई घटना रिपोर्ट नहीं की गई है

प्रशासन ने यात्रियों और आमजन से अपील की है कि वे केवल सरकारी या प्रमाणिक स्रोतों से ही सूचना प्राप्त करें और झूठी व भ्रामक खबरों से बचें। सोशल मीडिया पर प्राप्त किसी भी वीडियो या पोस्ट को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच अवश्य करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *