वेड इन उत्तराखंड: त्रिजुगीनारायण में 500 से ज्यादा शादियां

त्रिजुगीनारायण में शादी के लिए दुनिया भर से आ रहे हैं जोड़े

शादियों के सीजन में रहती है एडवांस बुकिंग

इस साल अब तक 500 से अधिक शादियां हुईं

 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित प्राचीन और पवित्र त्रिजुगीनारायण मंदिर, अब एक वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। यह वही स्थल है जहां पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यही कारण है कि आज यह स्थान न केवल भारत के कोने-कोने से, बल्कि दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालु जोड़ों के लिए विवाह स्थल के रूप में अत्यंत आकर्षक बन गया है। यहां सनातन परंपराओं और वैदिक विधियों के अनुसार विवाह करने की लालसा लिए जोड़े विशेष रूप से पहुंच रहे हैं

वर्तमान में, शादियों के सीजन में यहां हर महीने 100 से अधिक विवाह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग महीनों पहले से अपनी शादी की एडवांस बुकिंग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई मंचों से उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उपयुक्त स्थान बताकर इसकी ब्रांडिंग कर चुके हैं। इसका प्रभाव अब स्पष्ट रूप से त्रिजुगीनारायण मंदिर में देखा जा सकता है। यहां न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से, बल्कि अमेरिका, कनाडा, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों से भी लोग पहुंच रहे हैं।

त्रिजुगीनारायण

इस बढ़ती लोकप्रियता से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ मिल रहा है। होटल व्यवसायी, पंडे-पुजारी, वेडिंग प्लानर, मांगल दल, ढोल-दमाऊ वादक, डेकोरेटर, खानपान सेवा प्रदाता और वाहन चालक जैसे कई व्यवसाय इससे प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। इस धार्मिक पर्यटन ने क्षेत्र में रोजगार के नए द्वार खोले हैं।

2025 में अब तक 500 से अधिक शादियां

क्षेत्र की जानी मानी वेडिंग प्लानर रंजना रावत बताती हैं कि 07 से 09 मई के बीच सिंगापुर में कार्यरत भारतीय मूल की डॉक्टर प्राची अपनी शादी त्रिजुगीनारायण मंदिर में करने के लिए पहुंच रही हैं। इसके लिए उन्होंने जीएमवीएन द्वारा संचालित टूरिस्ट रेस्ट हाउस (टीआरएच) की बुकिंग पहले से ही कर ली है। रंजना रावत के अनुसार, वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक केवल अप्रैल महीने तक ही यहां लगभग 500 शादियां संपन्न हो चुकी हैं। जबकि पूरे वर्ष 2024 में कुल मिलाकर 600 विवाह ही हुए थे

त्रिजुगीनारायण

उन्होंने यह भी बताया कि इस ऐतिहासिक स्थल पर इसरो के एक वैज्ञानिक, फिल्म अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, टेलीविजन कलाकार कविता कौशिक, अभिनेत्री निकिता शर्मा, सुप्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, और गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी जैसी कई जानी मानी हस्तियां भी विवाह बंधन में बंध चुकी हैं। इन सबकी उपस्थिति ने त्रिजुगीनारायण की लोकप्रियता को और अधिक बढ़ावा दिया है।

रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, वैदिक परंपराओं के अनुसार विवाह

मंदिर के पुजारी सच्चिदानंद पंचपुरी के अनुसार, त्रिजुगीनारायण मंदिर में केवल सनातन धर्मावलंबियों के विवाह ही वैदिक परंपराओं के अनुसार संपन्न किए जाते हैं। इसके लिए पहले से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। विवाह समारोह में माता-पिता या अभिभावकों की उपस्थिति भी जरूरी होती है। विवाह की रस्मों के लिए मंदिर परिसर में ही एक विशेष वेदी बनाई जाती है, जहां सात फेरे लिए जाते हैं। इसके बाद मंदिर परिसर में स्थित पवित्र अखंड ज्योति के समक्ष पग फेरे की रस्म होती है।

शादी के अन्य कार्यक्रम जैसे स्वागत समारोह, हल्दी, मेहंदी और रिसेप्शन आदि नजदीकी होटलों और रिसॉर्ट्स में आयोजित किए जाते हैं। सीतापुर और आसपास के क्षेत्रों के होटलों में स्थानीय पुजारियों द्वारा भी विवाह कराए जाते हैं। इसके लिए पहले से दक्षिणा की दरें निर्धारित की गई हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और व्यवस्थाएं सुचारु रूप से संचालित हों।

त्रिजुगीनारायण मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

त्रिजुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहीं पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था और स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाह में देवी पार्वती के भाई (कन्यादानकर्ता) की भूमिका निभाई थी। मंदिर प्रांगण में एक अखंड अग्नि जलती रहती है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसी अग्नि के समक्ष शिव और पार्वती ने सात फेरे लिए थे। मंदिर की स्थापत्य कला केदारनाथ मंदिर से मिलती-जुलती है, जो इसे और अधिक पावन और दिव्य बनाती है।

सरकार का समर्थन और प्रधानमंत्री की अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। सरकार इस दिशा में हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्पष्ट किया है कि देवभूमि उत्तराखंड, देश-विदेश के लोगों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, आध्यात्मिक वातावरण और संस्कृति मिलकर विवाह जैसे पवित्र बंधन को और भी यादगार बना देते हैं।

देवभूमि का आमंत्रण

त्रिजुगीनारायण की आध्यात्मिकता, शुद्धता और पारंपरिक विवाह की पावनता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जोड़े यदि अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत इस पवित्र स्थल से करते हैं, तो उन्हें आत्मिक संतोष और दिव्यता की अनुभूति अवश्य होती है। देवभूमि उत्तराखंड सभी भावी दंपतियों का स्वागत करने के लिए खुली बाहों से तैयार है।

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