हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई! डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त पर गिरी गाज
हाईप्रोफाइल जांच में डीएम,पूर्व नगर आयुक्त व एसडीएम पाए गए थे दोषी
सीएम के एक्शन से नौकरशाही में हलचल
देखें निलंबन आदेश
तथ्यों की पड़ताल के बाद आईएएस चौहान ने शासन को सौंपी थी जांच रिपोर्ट
देहरादून/हरिद्वार। हरिद्वार नगर निगम के करोड़ों के जमीन घोटाले की हाई प्रोफाइल मामले में हरिद्वार डीएम, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी व एसडीएम अजयवीर को सस्पेंड कर दिया गया।
सीएम ने अब इस मामले की जॉच विजिलेंस को सौंप दी है।
सीएम धामी के इस कदम से सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई है।
सचिव शैलेश बगौली की ओर से यह आदेश मंगलवार को जारी किए गए।
सीएम धामी ने इस हाई प्रोफाइल घोटाले की जॉच करवाई थी।
आईएएस रणवीर चौहान ने बीते गुरुवार को
शहरी विकास सचिव नितेश झा को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। सौंपी गयी रिपोर्ट में तीन बड़े अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी करार दिया गया था।
जांच में यह साफ हो गया था कि लगभग 33 बीघा भूमि के लैंड यूज व खरीद में तय नियमों व शर्तों का पालन नहीं किया गया।
जांच रिपोर्ट में हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी व एसडीएम अजयवीर सिंह को दोषी करार दिया गया था। जांच रिपोर्ट में दोषी अधिकारियों के खिलाफ यथोचित एक्शन लेने की बात भी कही गयी थी।
मौजूदा समय में आईएएस वरुण चौधरी सचिवालय में अपर सचिव स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि हरिद्वार नगर निगम ने कुछ करोड़ की कृषि भूमि का लैंड यूज 20 दिन के अंदर कर दिया। कूड़े के ढेर के समीप स्थित इस कृषि भूमि का कामर्शियल भू उपयोग में तब्दील होने पर जमीन की कीमत के दाम उछलकर 55 करोड़ तक पहुंच गए।
इसके बाद अधिकारियों की मिलीभगत के बाद यह जमीन ऊंचे दामों पर खरीद ली गयी। जांच रिपोर्ट में जमीन खरीद के औचित्य पर गहरे सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा भू उपयोग परिवर्तन से सरकारी खजाने में लगी करोड़ों की चपत को भी गम्भीर प्रशासनिक लापरवाही मुद्दा माना गया।
इससे पूर्व जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने हरिद्वार डीएम कर्मेन्द्र सिंह व पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी के बयान दर्ज किये थे। और हरिद्वार जाकर अभिलेखों की जांच व मौका मुआयना किया था।
नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों की बंदरबांट के इस हैरतअंगेज कारनामे में तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह के स्टेनो और डाटा एंट्री ऑपरेटर से भी पूछताछ की गई।
इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच को लेकर पूरे प्रदेश में हलचल देखी जा रही है।
पूर्व में यह कार्रवाई हुई
गौरतलब है कि 1 मई को
हरिद्वार नगर निगम द्वारा बाजार भाव से अधिक दर पर भूमि खरीदे जाने के प्रकरण में प्रथमद्रष्टया दोषी पाए गए चार अधिकारियों को निलंबित किया गया था जबकि एक अन्य अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर नगर निगम हरिद्वार द्वारा सराय गांव में भूमि खरीद मामले में यह सख्त कार्रवाई की गई थी।
इसके अलावा, मामले में एक कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए थे।
जांच में पाया गया कि उक्त भूमि की खरीद के लिए गठित समिति के सदस्य के रूप में हरिद्वार नगर निगम के अधिशासी अधिकारी श्रेणी-2 (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त) रवीन्द्र कुमार दयाल, सहायक अभियन्ता (प्रभारी अधिशासी अभियन्ता) आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भटट और अवर अभियंता दिनेश चन्द्र काण्डपाल ने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया। इस आरोप में सभी अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है ।
प्रकरण में सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की भी संलिप्तता पायी गयी जिसके बाद सेवा विस्तार समाप्त करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं ।
इसके साथ ही हरिद्वार नगर निगम की वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
कौन मास्टरमाइंड
हरिद्वार नगर निगम की
बिना किसी ठोस परियोजना के कूड़े के ढेर के बगल वाली 33 बीघा भूमि खरीद की फ़ाइल का तेजी से दौड़ना भी कई सवाल खड़े कर गया। इस अहम फाइल को किस का ‘बाहरी व मजबूत’ बल लग रहा था ,यह भी सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिरकार, कृषि भूमि का लैंड यूज चेंज कर चार गुना अधिक मूल्य पर जमीन की खरीद में पीछे किस मास्टरमाइंड का हाथ था, यह भी कौतूहल का विषय बना हुआ है।
यह था मामला
गौरतलब है कि नगर निगम का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 2024 में आईएएस वरुण चौधरी को नगर निगम का प्रशासक तैनात किया गया था।
भूमि खरीद में नगर निगम एक्ट का पालन किया जाना था। जमीन खरीद से जुड़े शासन के नियम व निर्देश भी अपनी जगह मौजूद थे।
बावजूद इसके एक कॄषि योग्य भूमि का लैंड यूज परिवर्तित कर कामर्शियल कर दिया। और सिर्फ कुछ करोड़ की जमीन आधे अरब से अधिक दाम में खरीद ली गयी। इस मामले में हवा के माफिक दौड़ी फाइल का पेट भी नियमबद्ध दस्तावेजों से नहीं भरा गया।
निकाय विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि
नगर निगम ने किस परियोजना या योजना के लिए कूड़े के ढेर के बगल वाली जमीन खरीदी। जमीन खरीद का क्या प्रयोजन था? यह भी साफ नहीं किया गया। चूंकि, कामर्शियल रेट पर करोड़ों की खरीदी गई जमीन पर निगम की कोई फ्लैट बनाने की योजना थी? या फिर मॉल आदि कोई अन्य कामर्शियल गतिविधि को अंजाम देना था ? यह भी सार्वजनिक नहीं किया गया। अलबत्ता गोदाम बनाने की बात अवश्य कही गयी।
हरिद्वार नगर निगम भूमि घोटाले में एक बात यह भी सामने आ रही है कि सम्बंधित जिम्मेदार अधिकारियों ने भूमि खरीद की तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
हरिद्वार नगर निगम भूमि खरीद घोटाले में 1 मई को चार अधिकारियों के निलंबन के बाद जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह ने हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह व पूर्व नगर प्रशासक हरिद्वार वरुण चौधरी से पूछताछ की थी।
गौरतलब है कि हरिद्वार से जुड़े अधिकारियों ने यह कारनामा नगर निगम भंग होने के समय अंजाम दिया था। बाद में हरिद्वार की मेयर निर्वाचित होने पर किरण जैसल ने इस भूमि खरीद घोटाले की शिकायत सीएम धामी से की। सीएम धामी ने जांच आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह को सौंपी।
ऐसे हुई 15 से 54 करोड़ रुपए कीमत
भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट छह हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल कीमत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। लेकिन लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। खास बात ये है कि अक्टूबर में एसडीएम अजयवीर सिंह ने लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही निगम निगम हरिद्वार ने एग्रीमेंट कर दिया और नवंबर में रजिस्ट्री कर दी।
नगर निगम हरिद्वार ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा भूमि का क्रय किया था। ये भूमि 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी जबकि छह करोड़ रुपए स्टाप ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जमा हुए थे। 2024 में तब नगर प्रशासक आईएएस वरुण चौधरी थे। जमीन खरीद मामले में मेयर किरण जैसल ने सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच सीनियर आईएएस अफसर रणवीर सिंह को सौंपी थी। अब इस मामले में जमीन को बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश कर दिए गए हैं।
लैंड यूज में खेल-
अक्टूबर 2024 में एसडीएम अजयवीर सिंह ने जमीन का लैंड यूज बदला। और चंद दिनों में ही नगर निगम ने खरीद का एग्रीमेंट कर लिया। नवंबर में रजिस्ट्री पूरी हो गई। इस तेजी से भी कई सवाल खड़े हुए।
पारदर्शिता का अभाव-
जमीन खरीद के लिए कोई पारदर्शी बोली प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जो सरकारी खरीद नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही, नगर निगम ने इस खरीद के लिए शासन से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली।
सशर्त अनुमति का दुरुपयोग
जमीन को गोदाम बनाने के लिए धारा 143 के तहत सशर्त अनुमति दी गई थी, जिसमें शर्त थी कि यदि भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन से अलग किया गया, तो अनुमति स्वतः निरस्त हो जाएगी। आरोप है कि इस जमीन का उपयोग कूड़ा डंपिंग के लिए किया गया, जो अनुमति का उल्लंघन हो सकता है।
घोटाले में पूर्व नगर प्रशासक (एमएनए) वरुण चौधरी पर सर्किल रेट का दुरुपयोग कर सौदा करने का आरोप है। जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह और नगर निगम आयुक्त भी जांच के घेरे में हैं।
इस तरह के बड़े सौदों में तहसील और नगर निगम की संयुक्त जांच अनिवार्य होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यह प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। साथ ही, सर्किल रेट और लैंड यूज में बदलाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा।

आदेशः-
जनपद हरिद्वार के ग्राम सराय में नगर निगम हरिद्वार द्वारा क्रय की गई 2.3070 हैक्टेयर भूमि में की गई अनियमितता के सम्बन्ध में शहरी विकास विभाग द्वारा प्रकरण की प्रारम्भिक जांच हेतु श्री रणवीर सिंह चौहान (IAS), सचिव गन्ना चीनी विभाग उत्तराखण्ड शासन को जांच अधिकारी नामित किया गया। शहरी विकास विभाग के माध्यम से प्राप्त जांच अधिकारी की प्रारम्भिक जांच आख्या दिनांक 29-05-2025 में श्री वरूण चौधरी (LAS), तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम, हरिद्वार, हाल-अपर सचिव, उत्तराखण्ड शासन को अपने पदीय दायित्वों की अनदेखी करने, निर्धारित प्रक्रिया का पालन न किये जाने, निगम के हितों की रक्षा नहीं किये जाने तथा नियमों का उल्लंघन करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया है, जिसके दृष्टिगत यह स्थापित होता है कि उनके विरूद्ध लगाये गये आरोप प्रथम दृष्ट्या इतने गम्भीर हैं, कि उनके स्थापित हो जाने के फलस्वरूप, उन्हें अखिल भारतीय सेवायें (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 में उल्लिखित वृहद दण्ड दिया जा सकता है।
अतः अखिल भारतीय सेवायें (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के नियम-3 (1) (a) में प्रदत्त शक्ति के अधीन श्री वरूण चौधरी (IAS) को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुये उनके विरूद्ध अनुशासनिक/विभागीय कार्यवाही संस्थित किये जाने की श्री राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं।
2-श्री वरूण चौधरी (IAS) को निलम्बन अवधि के दौरान अखिल भारतीय सेवायें (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के नियम-4 में उल्लिखित शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन जीवन निर्वाह एवं अन्य भत्ते अनुमन्य होंगे।
3-श्री वरूण चौधरी (IAS) के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही हेतु आरोप-पत्र निर्गत किये जाने एवं जॉच अधिकारी नियुक्त किये जाने के सम्बन्ध में पृथक से कार्यवाही की जायेगी।
4-श्री वरूण चौधरी (IAS) निलम्बन अवधि में सचिव-कार्मिक एवं सतर्कता विभाग, उत्तराखण्ड शासन क

आदेशः-
जनपद हरिद्वार के ग्राम सराय में नगर निगम हरिद्वार द्वारा क्रय की गई 2.3070 हैक्टेयर भूमि में की गई अनियमितता के सम्बन्ध में शहरी विकास विभाग द्वारा प्रकरण की प्रारम्भिक जांच हेतु श्री रणवीर सिंह चौहान (IAS), सचिव गन्ना चीनी विभाग उत्तराखण्ड शासनको जांच अधिकारी नामित किया गया। शहरी विकास विभाग के माध्यम से प्राप्त जांच अधिकारी की प्रारम्भिक जांच आख्या दिनांक 29-05-2025 में श्री कर्मेन्द्र सिंह (IAS), तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम, हरिद्वार /जिलाधिकारी हरिद्वार को अपने पदीय दायित्वों की अनदेखी करने, प्रशासक के रूप में भूमि की अनुमति प्रदान करते हुये निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन न किये जाने तथा नगर निगम के हितों को ध्यान में नहीं रखने, शासनादेशों की अनदेखी करने एवं नगर निगम अधिनियम 1959 की सुसंगत धाराओं का उल्लघंन करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया है, जिसके दृष्टिगत यह स्थापित होता है कि उनके विरूद्ध लगाये गये आरोप प्रथम दृष्ट्या इतने गम्भीर हैं, कि उनके स्थापित हो जाने के फलस्वरूप, उन्हें अखिल भारतीय सेवायें (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 में उल्लिखित वृद्ध दण्ड दिया जा सकता है।
अतः अखिल भारतीय सेवायें (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के नियम 3(1) (a) में प्रदत्त शक्ति के अधीन श्री कर्मेन्द्र सिंह (IAS) को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुये उनके विरूद्ध अनुशासनिक / विभागीय कार्यवाही संस्थित किये जाने की श्री राज्यपाल, सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं।
2-श्री कर्मेन्द्र सिंह (IAS) को निलम्बन अवधि के दौरान अखिल भारतीय सेवायें (अनुशासनएवं अपील) नियम, 1969 के नियम 4 में उल्लिखित शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन जीवन निर्वाह एवं अन्य भत्ते अनुमन्य होंगे।
3-श्री कर्मेन्द्र सिंह (IAS) के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही हेतु आरोप-पत्र निर्गत किये जाने एवं जांच अधिकारी नियुक्त किये जाने के सम्बन्ध में पृथक से कार्यवाही की जायेगी।
4-श्री कर्मेन्द्र सिंह निलम्बन अवधि में सचिव-कार्मिक एवं सतर्कता विभाग, उत्तराखण्ड शासन के कार्यालय से सम्बद्ध रहेंगे।
राज्यपाल के आदेश से,
(शैलेश बगौली) सचिव

जनपद हरिद्वार के ग्राम सराय में नगर निगम, हरिद्वार द्वारा क्रय की गई 2.3070 हैक्टेयर भूमि में की गई अनियमितता के सम्बन्ध में शहरी विकास विभाग द्वारा प्रकरण की प्रारम्भिक जांच हेतु श्री रणवीर सिंह चौहान (IAS), सचिव, गन्ना चीनी विभाग, उत्तराखण्ड शासन को जांच अधिकारी नामित किया गया। शहरी विकास विभाग के माध्यम से प्राप्त जांच अधिकारी की प्रारम्भिक जांच आख्या दिनांक 29-05-2025 में श्री अजयवीर सिंह (PCS), तत्कालीन उपजिलाधिकारी, हरिद्वार / हाल उपजिलाधिकारी, भगवानपुर, जनपद, हरिद्वार को उक्त भूमि के विक्रेताओं के साथ सम्भावित मिलीभगत कर अल्प अवधि में उ०प्र० जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा-143 के अन्तर्गत कृषि भूमि को अकृषक घोषित करने, इस हेतु उत्तराखण्ड राजस्व परिषद् द्वारा निर्धारित प्रक्रिया (SOP) का अनुपालन न किये जाने तथा अन्य संगत नियमों का उल्लंघन कर अपने पदीय दायित्वों का दुरूपयोग करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया है, जिसके दृष्टिगत यह स्थापित होता है कि उनके विरूद्ध लगाये गये आरोप प्रथम दृष्ट्या इतने गम्भीर हैं, कि उनके स्थापित हो जाने के फलस्वरूप, उन्हें उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 के नियम-3 (ख) में उल्लिखित वृहद दण्ड दिया जा सकता है।
अतः उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-2003 के नियम-4(1) में प्रदत्त शक्ति के अधीन श्री अजयवीर सिंह (PCS) को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुये उनके विरूद्ध अनुशासनिक/विभागीय कार्यवाही संस्थित किये जाने कीश्री राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं।
2-निलम्बन अवधि में श्री अजयवीर सिंह (PCS) को वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-2 भाग 2 से 4 के मूल नियम 53 के प्रावधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि, अर्द्धवेतन पर देय अवकाश वेतन की राशि के बराबर देय होगी तथा उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि पर महंगाई भत्ता, यदि ऐसे अवकाश वेतन पर देय हैं, भी अनुमन्य होगा, किन्तु ऐसे अधिकारी को जीवन निर्वाह भत्ते के साथ कोई अन्य महंगाई भत्ता देय नहीं होगा, जिन्हें निलम्बन से पूर्व प्राप्त वेतन के साथ मंहगाई भत्ता अथवा अन्य मंहगाई भत्ते का उपान्तिक समायोजन प्राप्त नहीं था। निलम्बन के दिनांक को प्राप्त वेतन के आधार पर अन्य प्रतिकर भत्ते भी निलम्बन की अवधि में इस शर्त पर देय होंगे, जब इसका समाधान हो जाए कि उनके द्वारा उस मद में व्यय वास्तव में किया जा रहा है, जिसके लिये उक्त प्रतिकर भत्ते अनुमन्य हैं।
3- उपर्युक्त प्रस्तर-2 में उल्लिखित जीवन निर्वाह भत्ते का भुगतान तभी किया जायेगा जब कि श्री अजयवीर सिंह इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगे कि वह किसी अन्य सेवायोजन, व्यापार या वृत्ति व्यवसाय में नहीं लगे हैं।
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