विकासनगर: हरिद्वार नगर निगम की भूमि में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले को लेकर जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार और जांच एजेंसियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने रविवार को प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि पूरे घोटाले की स्क्रिप्ट एक प्रभावशाली अधिकारी के इशारे पर तैयार की गई, लेकिन उसे अब तक जांच के दायरे में नहीं लाया गया है।
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा विजिलेंस जांच की सिफारिश भले ही एक सकारात्मक कदम हो, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उनका आरोप है कि जिस मास्टरमाइंड ने इस पूरे घोटाले की योजना बनाई, वह अभी भी पर्दे के पीछे सुरक्षित बैठा है और सत्ता के गलियारों में उसकी गहरी पकड़ है।
उन्होंने बताया कि इस मास्टरमाइंड के निर्देश पर ही अधिकारियों ने लैंड यूज (भूमि उपयोग) में बदलाव किया और लगभग 30 बीघा सरकारी भूमि को निजी स्वामित्व में तब्दील कर दिया गया। इससे सरकार को करीब 40 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
अब तक इस मामले में 12 अधिकारियों को निलंबित या सेवा विस्तार समाप्त किया गया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। इससे यह संदेह और गहरा होता है कि कहीं असली दोषी को जानबूझकर बचाया तो नहीं जा रहा?
रघुनाथ सिंह ने यह भी कहा कि जन संघर्ष मोर्चा इन निलंबित अधिकारियों को यह भरोसा दिलाता है कि अगर वे उस मुख्य साजिशकर्ता का नाम उजागर करते हैं, तो मोर्चा उसे न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि असली दोषी को बख्शना केवल जनता ही नहीं, बल्कि न्याय की भी अवहेलना है। जनता इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की अपेक्षा कर रही है।
जन संघर्ष मोर्चा ने राजभवन से इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। मोर्चा ने कहा कि न्याय तभी संभव है जब असली गुनहगारों को बेनकाब कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
पत्रकार वार्ता के दौरान विजयराम शर्मा और दिलबाग सिंह भी मौजूद रहे।
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