महिला समूहों को मिलेगा पेयजल आपूर्ति का जिम्मा, राज्य सरकार शुरू करेगी ‘जल सखी’ योजना
ग्रामीण महिलाओं की आजीविका को नई दिशा देने और उन्हें आर्थिक रूप से अधिक सक्षम बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार अब पेयजल आपूर्ति प्रबंधन में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने जा रही है। इसी क्रम में राज्य सरकार ‘जल सखी’ योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है। यह योजना फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू की जाएगी, जिसके सफल होने के बाद इसे पूरे प्रदेश में विस्तार दिया जाएगा।
महिलाओं को सौंपा जाएगा पेयजल आपूर्ति और बिलिंग का कार्य
इस योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति से जुड़ी कई अहम जिम्मेदारियां महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सौंपी जाएंगी। इनमें नए कनेक्शन जारी करने, बिल वितरण, बिल वसूली और जल आपूर्ति योजनाओं के रखरखाव जैसे कार्य शामिल होंगे। इस पहल का उद्देश्य एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सेवाओं को अधिक सुलभ और व्यवस्थित करना है, तो दूसरी ओर ग्रामीण महिलाओं के लिए आय के नए अवसर सृजित करना भी है।
राज्य सरकार का मानना है कि स्थानीय स्तर पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से जल प्रबंधन व्यवस्था अधिक पारदर्शी और जवाबदेह होगी। साथ ही, इससे सरकारी विभागों पर काम का बोझ भी कम होगा और सेवाओं में तेजी आएगी।
लखपति दीदी योजना से मिली प्रेरणा
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर वर्ष 2022 में ‘लखपति दीदी योजना’ की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत प्रदेश की हजारों महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए। अब तक करीब 1.63 लाख महिलाएं इस योजना के माध्यम से “लखपति दीदी” बनकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। इसी अनुभव और सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने पेयजल आपूर्ति प्रबंधन के क्षेत्र में भी महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है।
जल गुणवत्ता जांच और मरम्मत की निगरानी भी महिलाएं करेंगी
‘जल सखी’ योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को केवल पेयजल वितरण और बिलिंग का ही जिम्मा नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें जल की गुणवत्ता की निगरानी और तकनीकी दिक्कतों की रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी। इसके लिए जल संस्थान की ओर से महिला समूहों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा और जल गुणवत्ता जांच किट भी उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि वे समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच कर सकें।
इसके अलावा, यदि किसी गांव की जल आपूर्ति योजना में कोई तकनीकी खराबी आती है, तो महिला समूह उसे विभाग तक पहुंचाने का काम भी करेंगे। इन्हें ‘नल जल मित्र’ के तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि ये न केवल तकनीकी खामियां पहचान सकें, बल्कि छोटी-मोटी मरम्मत कार्यों में भी सहयोग कर सकें।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम
जल सखी योजना को महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार का दावा है कि इससे न केवल ग्रामीण महिलाओं की आय में इजाफा होगा, बल्कि गांवों में जल प्रबंधन व्यवस्था भी सुदृढ़ और स्थायी बनेगी। योजना के तहत चयनित स्वयं सहायता समूहों को उचित मानदेय और प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
प्रदेश सरकार उम्मीद कर रही है कि यह योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में मील का पत्थर साबित होगी और जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करेगी।
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