ऊर्जा उत्पादन में नई पहल: गरम जल से बनेगी बिजली, 30 साल के लिए मिलेगी परियोजना

ऊर्जा

उत्तराखंड में भू-तापीय ऊर्जा उत्पादन का रास्ता साफ, 30 साल की अवधि के लिए आवंटित होंगी परियोजनाएं

उत्तराखंड में भू-तापीय ऊर्जा (जिओ-थर्मल एनर्जी) के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने उत्तराखंड भू-तापीय ऊर्जा नीति-2025 को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत, राज्य में चिन्हित भू-तापीय स्थलों पर बिजली उत्पादन समेत अन्य औद्योगिक उपयोग के लिए भू-तापीय परियोजनाओं का विकास किया जाएगा। परियोजनाओं का आवंटन अधिकतम 30 वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा।

40 स्थलों पर संभावनाएं, आइसलैंड के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट बनी आधार

राज्य के भू-वैज्ञानिक और आइसलैंड के भू-तापीय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी वैज्ञानिकों की टीम के संयुक्त सर्वेक्षण के बाद उत्तराखंड में करीब 40 स्थानों पर भू-तापीय ऊर्जा की संभावनाएं चिह्नित की गई हैं। खासतौर पर चमोली जिले के बदरीनाथ और तपोवन क्षेत्र में उच्च तापमान के प्राकृतिक जल स्रोतों की मौजूदगी ने इस दिशा में काफी उम्मीदें बढ़ाई हैं। आइसलैंड की टीम ने इन क्षेत्रों में भू-तापीय संसाधनों की क्षमता का वैज्ञानिक अध्ययन किया था, जिसके निष्कर्षों के आधार पर यह नीति तैयार की गई है।

नीति में उद्योग का दर्जा, निवेश को मिलेगा बढ़ावा

नई नीति के तहत भू-तापीय ऊर्जा परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा दिया गया है। इसके तहत निवेशकों को विभिन्न करों और शुल्कों में छूट के अलावा आवश्यक बुनियादी सुविधाएं और अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार ने नीति में स्पष्ट किया है कि परियोजनाओं के लिए एकल खिड़की प्रणाली (Single Window System) लागू की जाएगी, ताकि अनुमति और अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOCs) प्राप्त करने की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो सके।

आवंटन की प्रक्रिया और वित्तीय सहायता
  • चिन्हित स्थलों पर भू-तापीय परियोजनाओं का आवंटन तीन माध्यमों से किया जाएगा:

    • नामांकन (Nomination) के आधार पर – केंद्रीय उपक्रमों जैसे ओएनजीसी को

    • राज्य उपक्रमों को – जैसे यूजेवीएनएल (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड)

    • निजी विकासकर्ताओं को – प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया (Bidding) के माध्यम से

यदि केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिलती है, तो राज्य सरकार प्रारंभिक दो परियोजनाओं को विशेष वित्तीय सहयोग प्रदान करेगी। इसके अंतर्गत:

  • केंद्रीय उपक्रमों को कुल लागत का 50% तक वित्तीय सहायता

  • राज्य उपक्रमों को 100% तक वित्तीय सहायता

इसके अतिरिक्त, जो निजी विकासकर्ता राज्य में नए भू-तापीय स्थलों की खोज और अध्ययन करेंगे, उन्हें तीन करोड़ रुपये तक की लागत पर 50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता राज्य सरकार देगी।

बिजली के बदले रॉयल्टी बिजली नहीं, लेकिन अन्य लाभ

सरकार ने स्पष्ट किया है कि भू-तापीय ऊर्जा परियोजनाओं से राज्य को मुफ्त रॉयल्टी बिजली (Free Power Royalty) नहीं मिलेगी। इसके बजाय परियोजनाओं से जुड़े कर, शुल्क, रोजगार के अवसर और स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी राज्य को लाभ पहुंचाएगी। साथ ही, इस क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बहुआयामी उपयोग की संभावनाएं

भू-तापीय ऊर्जा नीति का उद्देश्य सिर्फ बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है। नीति के तहत भू-तापीय ऊर्जा के उपयोग के लिए कई बहुआयामी क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जैसे:

  • कृषि वाणिज्य के लिए ग्रीनहाउस हीटिंग

  • कोल्ड स्टोरेज का विकास

  • बागवानी और कृषि उत्पादों को सूखाने की प्रक्रिया

  • पर्यटन क्षेत्र में भू-तापीय पर्यटन (Geo-Thermal Tourism) को बढ़ावा देना

पर्यावरणीय स्वीकृति और नियामक पहलू

परियोजनाओं का पर्यावरणीय मूल्यांकन और श्रेणी निर्धारण उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) द्वारा किया जाएगा। बोर्ड ही आवश्यक स्वीकृति प्रदान करेगा, ताकि परियोजनाएं पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी विकास के मापदंडों पर खरी उतरें।

राज्य में ऊर्जा क्षेत्र के लिए नई उम्मीद

राज्य सरकार का मानना है कि भू-तापीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास से उत्तराखंड में न सिर्फ ऊर्जा उत्पादन में विविधता आएगी, बल्कि यह राज्य को हरित ऊर्जा (Green Energy) के क्षेत्र में अग्रणी बना सकता है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और पर्यटन को भी नई दिशा मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *