अब प्रदेश की सहकारी समितियां चलाएंगी पेट्रोल पंप, होम स्टे और 27 नए व्यवसाय

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सहकारी समितियों का कारोबार बढ़ा, अब पेट्रोल पंप और होम स्टे भी खोलेंगी

प्रदेश में 671 बहुउद्देशीय सहकारी समितियां कार्यरत हैं। इसके अलावा कुछ नई समितियां भी गठित की गई हैं। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करना है। ये समितियां अपने सदस्यों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं और सहायता प्रदान करती हैं, जैसे ऋण, खाद, बीज आदि, लेकिन अब इन समितियों के माध्यम से कुल 27 नए कार्य भी किए जा सकेंगे।

प्रदेश की बहुउद्देशीय सहकारी समितियां अब बड़ा कारोबार करने की ओर अग्रसर होंगी। पहले ये समितियां खाद, बीज और यूरिया बेचने तक ही सीमित थीं, लेकिन अब ये पेट्रोल और डीजल पंप के संचालन के साथ ही जन औषधि केंद्र और होम स्टे भी खोल सकेंगी। नोडल अधिकारी एमपी त्रिपाठी ने बताया कि बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के माध्यम से कुल 27 नए प्रकार के कार्य किए जा सकेंगे। इससे न केवल समितियों से जुड़े किसानों और अन्य सदस्यों को आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी, बल्कि इन समितियों को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाया जा सकेगा।

प्रदेश में नई समितियों के गठन के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त एमपी त्रिपाठी ने बताया कि अलग-अलग जिलों और क्षेत्रों के अनुसार समितियां विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकेंगी। कुछ क्षेत्रों में होम स्टे खोले जाएंगे तो कुछ स्थानों पर सौर ऊर्जा संयंत्र, पेट्रोल और डीजल पंप, रसोई गैस की आपूर्ति आदि कार्य किए जा सकेंगे।

बहुउद्देशीय सहकारी समितियां कर सकेंगी ये कार्य
बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के माध्यम से रेशम उत्पादन, डेयरी, मधुमक्खी पालन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन, विद्यालय, महाविद्यालय, अस्पताल, एंबुलेंस सेवा, सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर), प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, परिवहन सेवाएं, निजी गोदामों का निर्माण और उन्हें किराए पर देना, खाद और कृषि यंत्रों की बिक्री, कौशल विकास के लिए सदस्यों का प्रशिक्षण, बैंक मित्र, पानी मित्र, एक या अधिक श्रमिक समूहों का गठन, समुदाय आधारित सेवाओं का प्रदान करना, तथा बीमा उपलब्ध कराने के लिए एजेंसी के रूप में कार्य करना आदि शामिल हैं

हर गांव और क्षेत्र पंचायत में बनेगी समिति
प्रदेश के मैदानी जिलों में हर गांव और पर्वतीय जिलों में प्रत्येक क्षेत्र पंचायत स्तर पर सहकारी समिति गठित की जाएगी। नोडल अधिकारी एमपी त्रिपाठी के मुताबिक, हरिद्वार जिले से इस योजना की शुरुआत की जा चुकी है। इस जिले में इस महीने हर गांव में सहकारी समिति बनाई जाएगी। इसके बाद ऊधमसिंह नगर जिले में सहकारी समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

इस प्रकार, प्रदेश में सहकारी समितियों की भूमिका अब और व्यापक और बहुआयामी होने जा रही है, जिससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

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