साइबर ठगों की नई साजिश: स्कूल फीस के नाम पर QR कोड भेजकर ठगी

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साइबर ठगों की नई साजिश: स्कूल फीस के नाम पर QR कोड भेजकर ठगी

अब तक ऑनलाइन शॉपिंग, लोन, फर्जी केवाईसी, डिजिटल अरेस्ट और निवेश के नाम पर ठगी के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन अब साइबर ठगों ने एक और नया और खतरनाक तरीका अपनाया है। इस बार उनके निशाने पर हैं स्कूली बच्चों के अभिभावक। ठग अब स्कूल स्टाफ बनकर व्हाट्सएप या अन्य मैसेजिंग माध्यमों से अभिभावकों को मैसेज भेज रहे हैं, जिसमें वे बच्चों की फीस के नाम पर पैसे की मांग कर रहे हैं। इसके साथ एक क्यूआर कोड भी भेजा जा रहा है, जिसे स्कैन कर भुगतान करने को कहा जा रहा है।

अगर आपको भी आपके बच्चे के स्कूल के नाम से कोई ऐसा संदिग्ध मैसेज मिला है, तो सतर्क हो जाइए। ऐसा कोई भी भुगतान करने से पहले सीधे स्कूल प्रशासन से संपर्क कर जानकारी की पुष्टि जरूर करें। क्योंकि अब ठग स्कूलों के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं और इस तरीके से बैंक खातों से पैसे उड़ा ले जा रहे हैं।

देहरादून में सामने आया ताजा मामला

हाल ही में देहरादून से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक नामी स्कूल के कुछ अभिभावकों को व्हाट्सएप के माध्यम से एक मैसेज प्राप्त हुआ। इस मैसेज में स्कूल की ओर से बताया गया कि ‘डेवलपमेंट फीस’ के रूप में 4990 रुपये जमा कराने हैं। इसके साथ ही एक क्यूआर कोड भी भेजा गया, जिसे स्कैन कर भुगतान करने को कहा गया।

इतना ही नहीं, इस मैसेज में बाकायदा फीस जमा करने की ‘अंतिम तिथि’ भी लिखी गई थी और देरी होने पर ‘विलंब शुल्क’ जुड़ने की चेतावनी भी दी गई थी, ताकि अभिभावकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला जा सके। गनीमत यह रही कि कुछ सजग अभिभावकों ने इसकी जानकारी स्कूल प्रशासन तक पहुंचाई। स्कूल की ओर से तत्काल सभी अभिभावकों को सतर्क किया गया, जिससे एक बड़ा साइबर फ्रॉड होने से टल गया।

साइबर अपराधी लगातार बदल रहे अपने तरीके

साइबर ठग अब केवल स्कूली फीस या नौकरी जैसे बहाने नहीं, बल्कि हर दिन नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। चाहे वह फर्जी निवेश योजना हो, लोन या केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी हो, या फिर किसी परिजन के हादसे की झूठी सूचना देकर भावनात्मक दबाव बनाकर पैसे ऐंठना हो – ठग हर अवसर को मौके की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। अब एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के दौर में, फर्जी वीडियो, झूठी खबरें और नकली प्रोफाइल के जरिए धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

बचाव का एकमात्र तरीका है जागरूकता

साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एन.के. गोयल कहते हैं कि साइबर अपराधों से बचने का सबसे बड़ा उपाय है – जागरूकता। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे साइबर अपराधी भी अपनी चालें तेज और जटिल बनाते जा रहे हैं। अगर हम सावधान नहीं हुए, तो किसी भी समय इनके जाल में फंस सकते हैं।

उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम न केवल खुद को, बल्कि अपने बच्चों को भी इंटरनेट की दुनिया के खतरों से अवगत कराएं। बच्चों को मोबाइल फोन के लाभ के साथ-साथ इसके दुरुपयोग और उससे होने वाले खतरों की जानकारी देना भी जरूरी हो गया है।

खिलाड़ियों को भी बनाया जा रहा निशाना

साइबर ठगों की नजर अब केवल आम लोगों या अभिभावकों तक सीमित नहीं रही है। हाल ही में एक और मामला सामने आया है जिसमें ठगों ने पुरस्कार राशि के नाम पर खिलाड़ियों को निशाना बनाया। एसटीएफ ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि ठगों ने एक फर्जी वेबसाइट बनाकर खिलाड़ियों से आवेदन मांगे। इस वेबसाइट पर राज्यपाल तक को चयन समिति के सदस्य के रूप में दर्शाया गया, जिससे वेबसाइट को असली साबित किया जा सके।

दरअसल, उत्तराखंड सरकार की ओर से खिलाड़ियों को इनामी राशि देने की प्रक्रिया चल रही है। हाल ही में खेल विभाग ने इसके लिए आवेदन भी आमंत्रित किए थे। इस पूरी प्रक्रिया का फायदा उठाते हुए ठगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर खिलाड़ियों से डाटा इकट्ठा करना और पैसे वसूलना शुरू कर दिया

कैसे बचें ऐसे साइबर ठगों से – अपनाएं ये जरूरी सावधानियां:

  1. मोबाइल पर भेजे गए किसी भी अनजान क्यूआर कोड को स्कैन न करें।

  2. किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें।

  3. अज्ञात नंबरों से आने वाले फोन कॉल्स से सावधान रहें।

  4. अपनी बैंक संबंधी जानकारी, ओटीपी, एटीएम पिन और व्यक्तिगत विवरण किसी से साझा न करें।

  5. ऑनलाइन प्राप्त होने वाली हर सूचना को तुरंत सच न मानें, पहले पुष्टि करें।

  6. अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को सुरक्षित रखें और अनजान लोगों को फ्रेंड लिस्ट में न जोड़ें।

  7. किसी भी ऑनलाइन ऑफर या इनाम जैसी बातों पर भरोसा करने से पहले दो बार सोचें।

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